दिल्ली सरकार V/S उप राज्यपाल-जानिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की महत्वपूर्ण बातें

नई दिल्ली,न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM), केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों के विवाद पर छिडी खींचतान पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने कड़ी टिप्पणी की है..सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है कि जनमत का महत्व है और चुनी हुई सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हर मामले को तकनीकी पहलू में नहीं उलझाया जा सकता। एलजी और सरकार दोनों की जिम्मेदारी है कि काम ठीक से हों और हर काम में अराजकता ना हो। आम आदमी पार्टी इसे अपनी जीत करार दे रही है तो भाजपा की ओर से इसे केजरीवाल के लिए तमाचा कहा जा रहा है।
दिल्ली की आप सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के 4 अगस्त, 2016 के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें उप राज्यपाल को प्रशासनिक प्रमुख बताते हुए कहा गया था कि वे मंत्रिमंडल की सलाह मानने को बाध्य नहीं हैं। मामले पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें-
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जनमत का महत्व है। एलजी दिल्ली के प्रशासक हैं, वो कैबिनेट की सलाह से काम करें। हर मामले को तकनीकी पहली में ना उलझाया जाए। एलजी बनाम दिल्ली सरकार विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अराजकता की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार मिल-जुलकर काम करें। केंद्र और राज्य के बीच संबंध बेहतर होने चाहिए। संविधान का पालन करना सबकी जिम्मेदारी है। एलजी हर मामले को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते, खासकर नीतिगत फैसलों में व्यवधान नहीं डाल सकते। एलजी की अनुमति हर मामले में जरूरी नहीं है। चुनी हुई सरकार के फैसले में एलजी बाधा नहीं डाल सकते। एलजी अकेले ही फैसला नहीं ले सकते। हां, कुछ मामलों में केंद्र के पास जा सकती है। संसद का कानून सर्वोच्च है। संघीय ढांचे में राज्यों को स्वतंत्रता, शक्ति एक जगह केंद्रित नहीं हो सकता। दिल्ली के प्रशासक उपराज्यपाल हैं। अगर किसी मुद्दे को लेकर सीएम और एलजी के बीच सहमति नहीं है तो उसे सीधे राष्ट्रपति के पास भेजा जाए। कुछ मामलों को छोड़कर दिल्ली विधानसभा बाकी मसलों पर कानून बना सकती है। उपराज्यपाल दिल्ली के प्रशासक है। बाकी राज्यपालों से उनकी अलग स्थिति है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ते हुए कहा एलजी को ध्यान रखना चाहिए कि फैसले लेने के लिए चुनी हुई कैबिनेट है, ना कि वो। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोकतंत्र में असली ताकत चुने हुए प्रतिनिधियों के पास हो जो विधायिका के प्रति जवाबदेह हैं लेकिन दिल्ली के स्पेशल स्टेटस को देखते हुए बैलेंस बनाना जरूरी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूमि, पुलिस और लॉ एंड आर्डर को छोड़कर दिल्ली सरकार को अन्य मामलों में कानून बनाने और प्रशासन करने की इजाजत दी जानी चाहिए।

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