भलस्वा लैंडफिल बंद करने की मांग को लेकर स्वराज इंडिया ने किया विरोध प्रदर्शन
स्वच्छ भारत अभियान देश भर में तेज़ी से चलाया जा रहा है लेकिन इसका दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हमारे मोहल्ले, घरों, कार्यालयों से सफाई के बाद निकलने वाले कूड़े का निबटान कैसे होगा और कहां होगा? इसका कोई ठोस और स्थाई समाधान सरकारें नहीं निकाल पाई हैं।दिल्ली में हर रोज निकलने वाले हजारों टन कचरे का निबटान विकराल समस्या का रुप ले चुका है। उसका निबटान कैसे किया जाए? उसे कहां रखा जाए?
गाजीपुर, ओखला और भलस्वा डेयरी में सालो से ड़ाला जाने वाला कचरे के पहाड़ स्थानीय लोग के लिए भयंकर और विकराल समस्या बन चुका है।
स्वराज इंडिया ने दिल्ली के भलस्वा लैंडफिल साईट को बंद करने की माँग के साथ रविवार को विरोध प्रदर्शन किया। इसके तहत प्रदर्शनकारियों ने साईट पर जाकर एक मानव श्रृंखला भी बनाई। स्वराज इंडिया के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ भलस्वा और बादली गाँव के स्थानीय निवासी भी प्रदर्शन में शामिल हुए।
पिछले 5 अक्टूबर को क्षेत्र के सांसद ने स्थानीय लोगों से 12 अक्टूबर तक धरना स्थगित करने का अनुरोध किया था। जिसके बाद लैंडफिल साईट पर शांतिपूर्ण धरने पर बैठे हुए स्वराज इंडिया कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया था।स्वराज इंडिया के बादली विधानसभा अध्यक्ष गजराज यादव, वार्ड अध्यक्ष हरेंद्र यादव और गोविंद शर्मा आज के प्रदर्शन में शामिल हुए। प्रदर्शन की अगुवाई करते हुए स्वराज इंडिया प्रदेश महासचिव नवनीत तिवारी ने कहा “दिल्ली का एमसीडी ही यहाँ के पर्यावरण का अपराधी है, जहाँ एक ओर दिल्ली में खुले में कूड़ा जलाना बैन है वहीं सरेआम उल्लंघन करते हुए भलस्वा लैंडफ़िल पर 24 घंटे खुले में कूड़ा जलाया जाता है। दिल्ली एमसीडी के ऊपर यह आपराधिक मामला भी बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली के पटाख़ों पर तो प्रतिबंध लगा दी पर प्रदूषण के इस विकराल रूप पर ध्यान नहीं दे रही है।”
लैंडफ़िल के आसपास रह रहे 10 लाख लोगों को प्रदूषित वातावरण में रहने लिए एमसीडी मजबूर कर रही है। यहाँ के 80 प्रतिशत लोग स्वाँस सम्बंधित भयानक बीमारीयों के शिकार हैं।1993 में स्थापित हुआ राजधानी दिल्ली का भलस्वा लैंडफिल साईट 2010 में ही बंद होना था। इस खत्ते की सुरक्षित ऊँचाई के लिए 22 मीटर की अधिकतम सीमा तय की गई थी। लेकिन 50 मीटर से भी ज़्यादा हो चुके इस कचरापट्टी पर आज भी रोज़ाना 3 हज़ार टन कूड़ा डाला जाता है। कूड़े के इस पहाड़ की ऊँचाई हर दिन बढ़ती ही जा रही है। लगभग हर परिवार में बच्चे बूढ़े प्रदूषणजनित बीमारीयों से पीड़ित है।
भलस्वा लैंडफिल के आस पास के रिहायशी इलाके, श्रद्धानंद कॉलोनी, भलस्वा गाँव, संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर, समयपुर बादली गाँव, जहांगीरपुरी में रह रहे लगभग दस लाख लोगों का जीवन खतरे में हैं। इन इलाकों के तीन चौथाई लोग स्वास संबंधित बीमारियों से ग्रसित हैं। लैंडफिल साइट के नज़दीज स्थित भलस्वा लेक का पानी व इलाके का भूमिगत जल दूषित हो चुका है।
सबसे मज़ेदार बात है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री इस लैंडफिल को बंद करने की घोषणा काफ़ी पहले कर चुके हैं। इससे पहले कि पूर्वी दिल्ली के ग़ाज़ीपुर लैंडफिल जैसी दर्दनाक घटना फ़िर दोहराए, भलस्वा के स्थानीय लोगों ने एलजी, सीएम और मेयर को ज्ञापन सौंपकर तत्काल लैंडफिल बंद करने की मांग की थी। लेकिन अब तक इसपर कोई सार्थक कार्यवाई नहीं हुई है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अनुपम ने भरोसा दिलाया है कि भलस्वा खत्ते से पीड़ित स्थानीय लोगों के संघर्ष में स्वराज इंडिया हर कदम साथ खड़ा है। ग़ाज़ीपुर लैंडफिल जैसे दर्दनाक हादसे हों या दिल्ली भर में कूड़े कचरे के ढेर, दिल्ली की कूड़ा प्रबंधन नीति पर गंभीर सवाल उठाते हुए अनुपम ने कहा कि ये बड़े दुख की बात है कि देश की राजधानी में स्वच्छता की स्थिति इतनी बदहाल और चरमराई हुई है। आम जीवन के लिए ख़तरा बन चुके भलस्वा लैंडफ़िल के कारण स्थानीय लोग आंदोलित हैं। जब तक कि इस खत्ते को बंद नहीं किया जाता तब तक स्वराज इंडिया की मुहिम जारी रहेगी।