कोरोना ने किया व्यापारियों का होली और रंग पंचमी पर हुआ 35 हजार करोड़ रुपये का नुकसान
भारत त्योहारों की धरती है और प्रतिवर्ष देश में होली तथा रंग पंचमी जैसे बड़े त्यौहार से ही त्यौहारों की श्रंखला शुरू होती है और हर त्यौहार देश के व्यापारियों के लिए व्यापार के बड़े अवसर लाता है ! बड़े शहरोंकी छोटी बस्तियों तथा विभिन्न राज्यों के छोटे शहरों, कस्बों एवं गाँवों में हर त्यौहार की तरह होली का त्यौहार बेहद उल्लास और उमंग से मनाया जाता है और बड़ी मात्रा में जहाँ छोटी रिटेल की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती हैं वहीँ दूसरी ओर बड़े शहरों में थोक बाज़ारों में व्यापारी ग्राहकों का तांता लगा रहता है ! लेकिन इस बार कोरोना के तेजी से बढ़ते के कारण केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा कोविड दिशानिर्देशों के सख्ती से लागू होने के कारण देश भर के राज्यों को होली और रंग पंचमी पर लगभग 35 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का बड़ा नुकसान सहना पड़ा है ! लेकिन इस बार होली पर चीन को 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक के व्यापार का नुकसान जरूर सहना पड़ा है !
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज एक वक्तव्य जारी कर बताया की विभिन्न राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं से आज हुई बातचीत के आधार पर यह कहा जा सकता है की होली और रंग पंचमी के पर्व पर देश भर में पिछले कुछ वर्षों में लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का व्यापार होता है जबकि इस साल कोविड के चलते देश भर के व्यापारियों को होली और रंग पंचमी के त्यौहार पर लगभग 35 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के व्यापार का जबरदस्त नुकसान हुआ है वहीँ दूसरी ओर हजारों करोड़ों रुपये के होली के सामान का स्टॉक बिना बिके अपने पास रखना पड़ रहा है ! होली और रंग पंचमी का त्यौहार मूल रूप से उत्तर भारतीय राज्यों, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल तथा उत्तर पूर्वी राज्यों में धूम धाम से मनाया जाता है वहीँ दक्षिण भारत में उगादी और रंग पंचमी के रूप में इस त्यौहार को बेहद उल्लास के साथ मनाया जाता है !
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की होली और रंग पंचमी पर विशेष तौर पर रंग, अबीर, गुलाल, गुब्बारे, प्लास्टिक के होली के खिलौने, पीतल और स्टेनलेस स्टील की पिचकारी, मिठाइयां, टेसू के फूल, अन्य अनेक प्रकार के फूल, फल, ड्राई फ्रूट, होली के लिए विशेष रूप से बने सस्ते कुर्ते पाजामे, टी शर्ट, होली की साड़ियां, अन्य खाने पीने के सामान, धूपबत्ती एवं अगरबत्ती आदि का बड़ी मात्रा में व्यापार होता है ! वहीँ दूसरी ओर देश भर के विभिन्न राज्यों में लगभग डेढ लाख से अधिक होलिका बनाने के लिए कच्ची लकड़ी, कपूर, नारियल गोबर के उपले, कलावा, सूत आदि भी बड़ी मात्रा में ख़रीदा जाता है !
श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने बताया की प्रति वर्ष इस त्यौहार के मौके पर चीन से लगभग 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का सामान भारत आता था जिसमें मुख्य रूप से होली के खिलौने, रंग, लोहे की पिचकारी, गुलाल आदि आते थे ! लेकिन कैट द्वारा गत वर्ष 10 जून से देश भर में चालू चीनी सामान बहिष्कार अभियान के तहत जहाँ दिवाली तक चीन को जहाँ 70 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का नुकसान हुआ वहां इस वर्ष चीन से होली पर एक भी सामान न आने से चीन को 10 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का बड़ा नुकसान हुआ है !
श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने बताया की होली और रंग पंचमी के इस त्यौहार के मौके पर बड़ी संख्यां में लोगों को अस्थायी रोजगार मिलता है तथा अनेक वर्गों को अतिरिक्त व्यापार मिलता है ! कई सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार होली एवं रंग पंचमी पर बड़ी मात्रा में देश भर में सांस्कृतिक कार्यक्रम, फाग महोत्सव, कवि सम्मेलन, कव्वाली, सामजिक मिलन कार्यक्रम, होली उत्सव जैसे कार्यक्रम होते हैं ! एक अनुमान के अनुसार पूरे देश में होली से एक सप्ताह पहले से लेकर रंग पंचमी के दिन तक देश भर के विभिन्न राज्यों में लगभग 40 हजार से अधिक ऐसे कार्यक्रम आयोजित होते हैं जबकि अकेले दिल्ली में यह कार्यक्रम 3000 से अधिक होते हैं ! इन कार्यक्रमों में जहाँ टेंट हाउस, डेकोरेटर, कैटरर, फूल सज्जा करने वाले लोग, लाउडस्पीकर, बिजली व्यवस्था करने वाले लोगों को बड़ा व्यापार मिलता हैं वहीँ दूसरी ओर सांस्कृतिक कार्यक्रम करने वाली ऑर्केस्ट्रा पार्टी, आर्टिस्ट, कॉलेज में पड़ने वाले विद्यार्थियों को पार्ट टाइम जॉब , अन्य लोगों को अस्थायी रोजगार मिलता है वो भी इस वर्ष ऐसे कार्यक्रम न होने से पैसा कमाने से महरूम हो गए ! कुल मिलाकर इस वर्ष की होली और रंग पंचमी का त्यौहार लोगों को बेरंग कर गया !