जानिए किशोरों पर भारी पड़ती हुक्के की खुमारी पर सरकार की क्या तैयारी ?

नई दिल्ली,न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM)- देश की राजधानी दिल्ली मे इन दिनों तेज़ी से पनप रही हुक्का संस्कृति ने युवाओं के साथ ही किशोरों को भी अपनी जद में ले लिया है…। सूत्रों की माने तो दिल्ली में दस हजार से अधिक हुक्का पार्लर और बार चल रहे हैं जहां युवा ग्राहकों को हुक्के की सेवाएं रेस्ट्रो-बार में मुहैया कराई जाती है…।अब तक हुक्के का क्रेज युवाओं में ही देखने को मिलता था लेकिन अब धीरे धीरे किशोरों के बीच भी हुक्के की लत घर करती जा रही है…।

दिल्ली में चल रहे हुक्का बार और पार्लर्स के आस-पास किशोर छात्र और छात्राओं की भीड़ आसानी से देखी जा सकती है..जहां इन किशोरों को बहुत ही कम दाम में यानि तीन सौ से लेकर पांच सौ रुपए तक लेकर हुक्का परोसा जा रहा हैं…। लिहाजा नशे की लत का शिकार हो रही इसी किशोर पीढ़ी को नशे के चंगुल से बचाने के लिए सरकार ने कमर कस ली हैं।
अब खुद दिल्ली सरकार ने भी राजधानी में पनप रही हुक्का संस्कृति पर काबू पाने के लिए दिल्ली पुलिस से सख्त कदम उठाने के लिए पत्राचार भी शुरू कर दिया है….।दिल्ली से संयुक्त स्वास्थ्य निदेशक ने बाकायदा इस संदर्भ दिल्ली पुलिस के आयुक्त को पत्र लिखकर अवैध हुक्का बार्स के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी दिया है…।इतना ही नहीं बिना लाइसेंस अपने रेस्टोरेंट्स में हुक्के की सेवाएं देने वाले मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी सरकार की ओर से दिए गए हैं…।
दिल्ली सरकार के इस पत्र को लेकर हुक्का बार चला रहे रेस्टोरेन्ट्स के मालिकों में खासा रोष देखने को मिल रहा है…।इनका आरोप है कि यदि हुक्का बार बंद ही करना है तो सरकार तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाने चाहिए अकेले हुक्का बार बंद करने से समस्या का समाधान नहीं होगा…।ज्यादातर हुक्का बार मालिकों ने सरकार के निर्देशों को मानने की बात कही है लेकिन उनका यह कहना है कि अकेले दिल्ली में चल रहा हुक्का कारोबार 50 हजार लोगों को रोज़गार देता है…।लिहाजा सरकार को चाहिए कि इन्हें बंद करने से पहले लोगों के लिए वैकल्पिक रोज़गार की व्यवस्था करे…।
दिल्ली के किशोरों को हुक्के की लत लगाने के सवाल पर उल्टे मालिकों ने किशोरों के अभिभावकों से सवाल तक कर डाला कि क्या सिर्फ हुक्का बंद होने से उनके बच्चे गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे…।क्योंकि किशोरों को नशे की ओर धकलने के लिए हुक्का बार मालिक नहीं बल्कि उनके माता-पिता द्वारा बरती गई उपेक्षा ही कही अधिक जिम्मेदार है…।इन मालिकों का दावा था कि उनके रेस्टोरेन्ट बार में आने वाले ग्राहकों की उम्र को लेकर खासी सावधानी बरती जाती है…।उनका परिचय पत्र देखने के बाद ही रेस्टोरेन्ट् में आने की इजाज़त दी जाती है…।उनका साफ कहना था कि हुक्का बार में केवल हर्बल चीजों का ही उपयोग किया जाता है और उसमें भी केवल 18 साल से अधिक युवाओं को ही हुक्का दिया जाता है…।उनका यह भी तर्क था कि बड़ी-बड़ी तंबाकू उत्पाद कंपनियां यदि तंबाकू का उत्पादन बंद कर दें तो हुक्का बार स्वतः ही बंद हो जाएंगे…।इसके अलावा उन्होंने दिल्ली में हुक्का बंद करने से पहले पंजाब को नशा मुक्त बनाने का सरकार को सुझाव भी दे डाला…।
हालांकि सरकार की ओर से अवैध हुक्का बार बंद करने के पीछे जो कारण बताए जा रहे हैं वह भी हुक्का बार मालिकों के गले नहीं उतर रहे…।उनका कहना है कि हुक्का संस्कृति देश में बहुत पुरानी है औऱ यह गांव-गांव घर-घर तक फैली हुुई है…।ऐसे में दिल्ली के रेस्टोरेन्ट्स में हुक्का पर प्रतिबंध लगाने से कोई खास लाभ सरकार को होने वाला नहीं है..।
कई हुक्का बार मालिकों का यह भी तर्क था कि सिगरेट,बीडी तंबाकू और गुटखा से कहीं कम नुकसान हुक्का पीने से होता है अतः सरकार को चाहिए कि वह पहले कैंसर की प्रमुख वजह बन चुके बीड़ी सिगरेट गुटखा और तंबाकू की बिक्री पर रोक लगाने की कोशिश करे…।

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