सीलिंग के खिलाफ आज दिल्ली रही बंद,1500 करोड़ का व्यापार प्रभावित
दिल्ली नगर निगम कानून 1957 को ताक पर रख कर दिल्ली भर में हो रही लगातार सीलिंग के विरोध में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के आव्हान पर आज दिल्ली ले सभी थोक एवं रिटेल बाज़ार पूरी तौर पर बंद रहे और कोई कारोबार नहीं हुआ ! भाजपा, कांग्रेस एवं आप ने भी व्यापारियों के व्यापार बंद को अपना समर्थन दिया है !
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने जारी प्रेस नोट में केन्द्र सरकार द्वारा सीलिंग के मामले पर तुरंत सीधा हस्तक्षेप करने की मांग की.. खंडेलवाल ने कहा की दिल्ली नगर निगम कानून के संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत बेहद ही मनमाने तरीके से सर्वोच्च न्यायलय के आदेश की आड़ में दिल्ली में सीलिंग कर रही है ! कोई भी कार्यवाई करने से पहले निगम आयुक्त को म्युनिसिपल मजिस्ट्रेट के समक्ष एक समयबद्ध सीमा में एक शिकायत दर्ज़ करना अनिवार्य है और उसके बाद कारण बताओ नोटिस, व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का अधिकार एवं अपील ट्रिब्यूनल तथा दिल्ली के प्रशासक यानी उपराज्यपाल के पास अपील देने का अधिकार निगम कानून देता है और उसी के बाद कोई कार्यवाई हो सकती है ! दिल्ली के लोगों को उनके इन अधिकारों से महरूम किया गया है ! मोटिनोरिंग कमेटी केवल रिहायशी इलाकों में कमर्शियल गतिविधियां देखने के लिए गठित हुई है लेकिन अपनी सीमा का अतिक्रमण करते हुए मॉनिटरिंग कमेटी दिल्ली में कहीं पर भी सीलिंग कर रही है चाहे वो क्षेत्र रिहायशी है अथवा नहीं !
व्यापारियों ने केंद्र सरकार से मांग की है की दिल्ली को सीलिंग से बचाने के लिए तुरंत एक अध्यादेश लाया जाए तथा वहीँ दूसरी ओर 31 दिसम्बर, 2017 तक दिल्ली में बिल्डिंग अथवा कमर्शियल यूज़ “जहाँ है जैसा है” के आधार पर एक एमनेस्टी स्कीम दी जाए, 351 सड़कों को दिल्ली सरकार तुरंत अधिसूचित करे एवं अतिरिक्त निर्माण पर ऍफ़ ए आर को अविलम्ब बढ़ाया जाए ! लोगों ने दस साल तक कन्वर्शन शुल्क दे दिया इसलिए अब ऐसी लोगों से और कोई कन्वर्शन शुल्क न लिया जाए ! कैट ने यह भी कहा की लोकल शॉपिंग सेंटर्स कमर्शियल दरों पर दिए गए थे इसलिए उनसे कन्वर्जन चार्ज लेना कहाँ तक उचित है ओर उनको सील किया जाना बेहद दुर्भाग्य पूर्ण है ! दिल्ली में जिस तुग़लकी तरह से सीलिंग हो रही है ओर नगर निगम कानून को ताक पर रख दिया है उसको लेकर व्यापारी बेहद रोष में है !
एक अनुमान के अनुसार आज के व्यापार बंद के दौरान दिल्ली में लगभग 1500 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ जिसके चलते सरकार को लगभग 125 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ तथा लगभग 20 लाख लोगों के कार्य घंटे व्यर्थ हुए !
दिल्ली के विभिन्न मार्केटों में व्यापारियों ने विरोध मार्च निकला और बाद में दिल्ली के विभिन्न इलाकों जिनमें चौक हौज़ क़ाज़ी, कमला नगर, राजौरी गार्डन, साउथ एक्सटेंशन, कृष्णा नगर शामिल हैं पर होने वाले विराट विरोध धरने में शामिल हकार सीलिंग को बेहद अन्यायपूर्ण बताते हुए सरकार से दिल्ली के व्यापार को बचाने की पुरजोर मांग की !
दिल्ली व्यापार बंद के दौरान मुख्य रूप से शहरी क्षेत्र में चांदनी चौक,खारी बावली, कश्मीरी गेट, सदर बाजार, चावड़ी बाजार,नई सड़क, नया बाजार, श्रद्धानन्द बाजार, लाहोरी गेट, दरिया गंज, मध्य दिल्ली में कनाट प्लेस, करोल बाग, पहाड़गंज, खान मार्किट, उत्तरी दिल्ली में कमला नगर, अशोक विहार, रोहिणी, मॉडल टाउन, शालीमार बाग़, पीतमपुरा, पंजाबी बाग़, पश्चिमी दिल्ली में राजौरी गार्डन, तिलक नगर, उत्तमनगर, जेल रोड, नारायणा, कीर्ति नगर, द्वारका, जनकपुरी, दक्षिणी दिल्ली में ग्रेटर कैलाश, साउथ एक्सटेंशन, डिफेन्स कॉलोनी, हौज़ खास, ग्रीन पार्क, युसूस सराय , सरोजिनी नगर, तुग़लकाबाद, कालकाजी और पूर्वी दिल्ली में, लक्ष्मी नगर, प्रीत विहार, मयूर विहार, मंडावली, भजनपुरा, शाहदरा, कृष्णा नगर, गाँधी नगर, दिलशाद गार्डन, लोनी रोड, सहित प्रमुख बाजार पूरे तौर पर बंद रहे !
व्यापारियों ने कहा की इस गंभीर मामले में लगता है की सुप्रीम कोर्ट को भी अंधेरे में रखा गया है नगर निगम कानून की धारा 345 के अंतगर्त भवन के दुरपयोग पर कोई भी दंडात्मक कार्यवाही से पूर्व नगर निगम को व्यक्तिगत नोटिस देना अनिवार्य है वही दूसरी और धारा 471 के अंतगर्त जिस दिन नगर निगम को अवैध उपयोग का पता चलता है से केवल 6 माह के समय के भीतर ही निगमायुक्त दंडात्मक कार्यवाही कर सकते है अन्यथा उनका यह अधिकार कानून तोर पर समाप्त हो जाता है। दूसरी और धारा 419 के अंतगर्त निगमायुक्त ने दिल्ली के किसी भी हिस्से को व्यापारियों गतिविधि के लिए प्रतिबंधित नहीं किया है तथा यहाँ तक की धारा 407, 408, 409 तथा 410 के अंतगर्त प्राप्त अधिकारों के अधीन व्यावसायिक उपयोग रोकने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की है जबकि ठीक इसके उल्ट उच्चतम न्यायालय के आदेश की आड़ में दिल्ली के व्यापारियों को उजड़ाजा रहा है और खुले तोर पर व्यापारियों के मूल अधिकारों तथा न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत पर चोट की गयी है।
खंडेलवाल ने कहा की आज के व्यापार बंद के बाद हम सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार करेंगे और यदि सरकार की तरफ से कोई इस मुद्दे पर कोई पहल नहीं हुई तो दिल्ली के व्यापारी अपने प्रजातान्त्रिक अधिकारों का उपयोग करते हुए संसद से लेकर सड़क तक और यहाँ तक की न्यायालय जाने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे !