लिंग भेद को मिटाना चाहती है ट्रांसजेंडर विश्वसुंदरी नाज़ जोशी

न्यूज़ नॉलेज मास्टर (NKM NEWS) सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने ट्रांसजेंडर्स का जीवन बदल डायस है।हिकारत से देखे जाने वाले इस बड़े में वर्ग में ख़ुशी और उत्साह का माहौल है।आज समाचार एंकर, महापौर,स्कूल के प्रिंसिपल,वकील जज, मॉडल और ब्यूटी क्वींस और फैशन की दुनिया में बड़ी संख्या ट्रांसजेंडर्स भी हैं। ऐसी ही एक बयूटी क्वीन हैं ऐज़्या नाज जोशी, ये हिंदू मुस्लिम समुदाय में एक ट्रांसजेन्डर के रूप में पैदा हुई थीं. नाज जोशी, एक ऐसा नाम जो हिंदू मुस्लिम परिवार में पैदा हुई दुनिया की पहली ट्रांस लैंगिक महिला है जिनका नाम महिलाओं के साथ सौन्दर्य की प्रतिस्पर्धा करने और विजेता बनने के तौर पर उभरा है।

 
नाज जोशी को मिस डाइवर्सिटी वर्ल्ड 2017 और २०१८ में क्वीन का खिताब जीत चुकी हैं और अब ट्रांसजेंडर वर्ड के मुख्य टाइटल को अपने नाम करने के अपने सपने को सच करने की दिशा में अग्रसर हैं. इस प्रतियोगिता में वह भारतीय पेजेंट के तौर पर भाग ले रही है. उनके साथ 19 अन्य खूबसूरत ट्रांस महिलायें प्रतियोगिता में उतर रही हैं
एक ऐसी लड़की जो शुरू से शर्मिंदगी उठाती आई हो.नाज का नाम अपने परिवार के लिए हमेशा ही बड़ी शर्मिंदगी की बात रहा। उनके पास एक अच्छा बचपन नहीं था क्योंकि वह पिछड़े समाज में बड़ी हुईं. स्कूल में उनका कोई भी दोस्त नहीं था, उनके स्कूल के बच्चों ने उन्हें छक्का, हिंजड़ा, नपुंसक और जाने क्या- क्या नहीं बुलाया? बचपन में अपने स्कूल के शिक्षकों और दूर के रिश्तेदारों के द्वारा ये यौन उत्पीड़न का शिकार रहीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनका कहना है कि उन्होंने शायद ही बचपन देखा है। इसके बाद घरवालों ने समाज के तानो से तंग आकर उन्हें एक दूर के रिश्तेदार के पास मुंबई भेजा दिया जहां उन्होंने ओपन स्कूल शिक्षा के माध्यम से अपनी उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी की। वह अपने अध्ययन के लिए ज्यादा समय नहीं दे सकी क्योंकि उनका अधिकांश समय रेस्तरां, ढाबों में अंशकालिक नौकरियां करने में चला जाता था।

अपनी किशोरावस्था में उन्होंने पैसे कमाने और अपना जीवन चलने के लिए बार डांसर के रूप में भी काम किया। इसी दौरान इन्होने जी टीवी द्वारा आयोजित रियलिटी शो में भी भाग लिया  जिसमे ये अनु कपूर जैसी हस्तियों के साथ थीं, कला और रचना के प्रति उनके प्रेम के चलते उन्होंने 1999 में एनआईएफटी की प्रवेश परीक्षा दी, जहां उन्होंने एक डिजाइनर बनने का फैसला किया। उन्होंने फैसला लिया कि वो इस फैशन स्कूल में अपने लिंग को छुपा कर रखेंगी ताकि वह एक शांतिपूर्ण जीवन का नेतृत्व कर सकें और फिर से उन्हें वही सब परेशानियों का सामना न करना पड़े। निफ्ट 2001 के स्नातक कार्यक्रम में उन्हें सबसे रचनात्मक डिजाइनर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पर इसके बाद फिर से गुमनामी के अँधेरे में उनका जीवन खो गया. इस बीच सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय, जिसमे ट्रांसजेंडर्स को तीसरे लिंग के रूप में स्वीकारा गया जिसके पश्चात् इन्होने 2015 में फैशन गुरूकुल नामक फैशन डिजाइनर स्कूल खोलने का पहला कदम उठाया। यह नाज़ के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। तब से लेकर आज तक नाज ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

 

अब तक नाज एमएस(Ms) रिपब्लिक इंटरनेशनल ब्युटी एम्बेसडर 2017 शीर्षक और एमएस संयुक्त राष्ट्र एम्बेसडर का शीर्षक जीता है। इन्होंने इलीट ग्लोबल अर्थ लाइफ टाइम का खिताब भी जीता है। हाल ही में वह फैशन इंडस्ट्री पर राज करने वाली दक्षिण एशियाई ट्रांसजेन्डर मॉडल्स की रैंकिंग में शीर्ष 5 में शामिल थीं। इतना ही नहीं उन्होंने अपने साथ साथ भारतीय शादीशुदा महिलाओं को भी आगे बढ़ने का मच प्रदान किया. उन्होंने एमआईएचएम(MIHM)नामक, विवाहित भारतीय महिलाओं के लिए एक मंच शुरू किया। इस सौंदर्य प्रतियोगीता में  एमआरएस (Mrs ) इंडिया होम मेकर्स के माध्यम से विवाहित भारतीय महिलाएं अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकती हैं।

नाज़ एक सामाजिक कार्यकर्ता भी है और अपनी सौंदर्य प्रतियोगिताओं के माध्यम से एनजीओ के लिए पैसे जमा करती हैं और पूरी मदद करती है उन लोगों की जो की विशेषाधिकार से वंचित हैं। उनका उद्देश्य उन लोगों को भी खुशी का बांटना है, जिन्होंने शायद उस वक़्त उनकी मदद नहीं की, जिस वक़्त वो मुसीबत में थीं और उन्हें समर्थन की सबसे ज़्यादा ज़रुरत थी।

इस ट्रांस महिला ने ये साबित कर दिया है कि कट्टर समर्पण और जुनून के माध्यम से भाग्य को बदला जा सकता है और यह केवल तीसरे लिंग के लोगों के लिए एक प्रेरणा नही है, बल्कि ये प्रेरणा हैं पूरे समाज के लिए। अपनी कमजोरियों को शक्तियों में परिवर्तित करो और आकाश की सीमाओं को छुओ, यही नाज़ का कहना है।

आगामी प्रतियोगिता ७ अक्तूबर को होनी है. नाज़ इस प्रतियोगिता में पंजाब का प्रतिनिधित्व कर रही हैं क्योंकि उनके पिता पंजाब से हैं. उनका उद्देश्य उनके पिता और रिश्तेदारों को गर्व करना है। नाज कहती हैं, ‘‘इस प्रतियोगिता में मैं किसी समुदाय विशेष का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही, मैं पूरे विश्व का प्रतिनिधित्व कर रही हूं जहां हर किसी के लिए जगह है जहां हर किसी की अपनी पहचान है. सौंदर्य प्रतियोगिता लैंगिक भेदभाव को खत्म करने का एक जरिया मात्र है.

नाज जोशी का कहना है कि इस कम्पीटिशन में भाग लेने के पीछे उनका मकसद लैंगिक अंतर को खत्म करना है. वह ट्रांसजेंडर लोगों के प्रति लोगों का नजरिया बदलना चाहती हैं.

उसका उद्देश्य अनाथालय खोलना है, जहां वह कई बच्चों की मां बनकर जीना चाहती हैं। साथ ही वह समाज के सुधार के लिए काम करना चाहती है और कहती है कि वह अपने लिए 36 साल जी चुकी हैं अब उनका जीवन समाज को समर्पित है। उनका सपना है कि वह फिल्मो में काम करें. इसकी शुरुआत वह दक्षिण फिल्मों में शुरुआत करना चाहती है।

कुछ लोगों को अपने अधूरेपन को लेकर ऊपर वाले से शिकायत हो सकती है. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो अपने अधूरेपन पर मलाल करने की बजाय न सिर्फ उसे पूरा करते हैं बल्कि दुष्वारियों की कड़ी धूप में भी अपने हिस्से की छांव छीन लेने का हौंसला रखते हैं.नाज़ उनमे से ही एक हैं.

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