सार्क देशों के युवाओं को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के साथ संस्कृति के विस्तार का एस.ए.यू. बना महत्वपूर्ण केंद्र- प्रोफेसर के.के. अग्रवाल
दक्षिण एशियाई देशों में गुणवत्तपूर्ण शिक्षा देने के साथ सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सार्क देशों के द्वारा नई दिल्ली में स्थापित साउथ एशियन यूनिवर्सिटी मिशनमोड पर काम कर रही है।
सार्क देशों के बीच सांस्कृतिक ज्ञानार्जन को बढ़ावा देने के लिए साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष और देश के जानेमाने प्रख्यात शिक्षाविद्द प्रोफेसर के.के. अग्रवाल के कुशल मार्गदर्शन में एस.ए.यू. में पहली बार साउथ एशियन फेस्टिवल ऑफ आर्ट्स एंड लिटरेचर (सफल) का शानदार आयोजन किय़ा गया।
प्रोफेसर के.के. अग्रवाल की पहल से आयोजित इस दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन एसएयू के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (आई.एस.ए.एस.) और वैली ऑफ वर्ड्स (वी.ओ.डब्ल्यू.) के सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ एस.ए.यू. के अध्यक्ष प्रोफेसर के.के. अग्रवाल, लालबहादुर राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा, आई.एस.ए.एस. के निदेशक और समाजशात्र संकाय के अधिष्ठाता प्रो. संजय चतुर्वेदी, और डॉ. धनंजय त्रिपाठी सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम के स्वागत भाषण में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए एस.ए.यू. के अध्यक्ष प्रोफेसर के.के. अग्रवाल ने कहा कि दक्षिण एशियाई देश आपस में सांस्कृतिक समृद्दता से जुडे हैं जो सार्क देशों के आपसी रिश्तो को मजबूती प्रदान कराने का बेहतरीन माध्यम है। सांस्कृतिक संबधों इस सदियों पुरानी विरासत से सदस्य देशों की नई पीढ़ी को जाडने के मकसद से ये फेस्टिवल आयोजित किया गया है। प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि सार्क देशों की साझा समस्याओं और सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाध बनाने जैसे विषय पर शोध व अध्ययन के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज काम कर रहा है। प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष में सार्क देशों के युवाओं को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के साथ- साथ वहां की संस्कृति के विस्तार का एसएयू एक बेहतरीन केंद्र बन कर उभरा है।
कार्यक्रम में पूर्व विदेश सचिव, राजदूत श्याम सरन ने “क्या भूगोल राजनीतिक नियति निर्धारित करता है?” विषय पर अपना व्याख्यान दिया। इस दौरान “दोस्ती को मजबूत करना: भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव और राजनीतिक प्रतियोगिताएं” पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें राजदूत के.वी. राजन और विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन, नई दिल्ली के निदेशक अरविंद गुप्ता ने अपने विचार रखे।
दक्षिण एशियाई कला एवं साहित्य महोत्सव (सफल) के दूसरे दिन की शुरुआत “सुशासन: भारत के सर्वोत्तम तरीकों को अपनाना” विषय पर आयोजित सत्र से हुई, जिसकी अध्यक्षता आई.एस.ए.एस. के निदेशक संजय चतुर्वेदी ने की। कार्यक्रम में भारत सरकार के सचिव वी. श्रीनिवास ने मुख्य वक्ता के रुप में अपना ओजस्वी व प्रेरणादायी उद्बोदन देते हुए विषय पर गहराई से प्रकाश डाला।
इस दौरान “पत्रकारिता के नजरिए से दक्षिण एशिया” शीर्षक सत्र का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रो. धनंजय त्रिपाठी ने की। इस दौरान “नानक से गुरु नानक तक की यात्रा: एकता का प्रतीक” विषय पर चर्चा की गई। इसकी प्रस्तुति सिंगापुर निवासी रिसर्चर अमरदीप सिंह ने की जिसकी छात्रों ने काफी तारीफ की।
साउथ एशियन फेस्टिवल ऑफ आर्ट्स एंड लिटरेचर के समापन सत्र में “जलवायु परिवर्तन की चुनौती: हमारा साझा भाग्य” विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता लालबहादुर राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा ने की वहीं नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल कुमार सिन्हा सहित अन्य वत्ताओं ने भी अपने विचार रखे।