जोनपुर पूर्वांचल विश्विद्यालय में राम कथा को लेकर सियासत तेज़,शिक्षा के भगवाकरण पर विपक्ष का योगी सरकार पर हमला
जोनपूुर,न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM),बीजेपी सरकार बनने के बाद राज्य के शिक्षा संस्थान विवादों का अखाड़ा बने हुए हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय तक छात्रों, प्रशासन,सरकार और विपक्ष के बीच ठनी हुई है। नया विवाद उत्तर प्रदेश का वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय बन गया है। हाल ही विश्वविद्यालय में रामकथा का आयोजन किए जाने पर विपक्ष सवाल उठा रहा है। वीर बहादुर विश्वविद्यालय के कुलपति राजाराम और राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गयें हैं
पूर्व सांसद और बसपा नेता घनश्याम अनुरागी ने योगी सरकार पर इस मुद्दे पर जमकर निशाना साधाते हुए इसे शिक्षा का भगवाकरण करार दिया। न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM) से बातचीत मे अनुरागी ने कहा कि योगी सरकार के पास राम मुद्दे के अतिरक्त कोई काम बाकी नहीं है। उत्तर प्रदेश शिक्षा की स्थिति बद से बदतर हो गई है । स्कूलो और कॉलेजों में विधार्थियों की तुलना में पर्याप्त संख्या में शिक्षक मौजूद नहीं है। किसान भूखा मर रहा है,बेरोज़गारी और महंगाई अपने चर्म पर हैं,अस्पतालों में बच्चे मर रहे हैं लेकिन योगी सरकार सरकारी संस्थानों पर भगवा रंग चढानें मे लगी हुई है। घनश्याम अनुरागी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस सरकार को राम के नाम पर लोगो की भावनाएं भड़काकर राजनीति करने के एलावा कुछ नही आता। उत्तर प्रदेश में विकास शुन्य है। अनुरागी कहते है कि रामकथा का आयोजन करना सरकार और शैक्षिक संस्थानों का काम नही है यह विषय आस्था का है लिहाज़ा ऐसे काम सामाजिक संस्थाओं को ही शोभा देते हैं
वहीं विश्वविद्यालय द्वारा 28 से 30 अक्टूबर तक आयोजित सम्मेलन में शिरकत करने वाले बीजेपी नेता सुनील भराला इसमें कोई बुराई नहीं देखते हैं। भराला मानते है कि भारत के सभी शैक्षिक संस्थानों में रामकथा का आयोजन होना चाहिए। इसमें किसी तरह की कोई बुराई नहीं है । भराला ने पूर्व सांसद और बसपा नेता घनश्याम अनुरागी पर पलटवार करते हुए कहा कि शिक्षा की बदतर हालत के लिए योगी सरकार नहीं बल्कि सपा और बसपा की पूर्ववर्ती सरकारे जिम्मेंदार हैं।भराला कहते है कि इस प्रकार के कार्यक्रम देश के हर शिक्षा संस्थान मे होने चाहिए। रामकथा के आयोजन में क्या बुराई है। इससे छात्र-छात्राओं के चरित्र का निर्माण होगा वहीं भारतीय संस्कृति और संस्कारों को जगाने के लिए यह बहुत ज़रुरी है। भराला कहते है कि वेदिक शिक्षा और रामायण को पूरे देश में पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना ज़रुरी है।
साफ है सूबे कि सियासत में सत्ता पक्ष और विपक्ष में हर मुद्दे पर तकरार लगातार हो रही है। ऐसे में शिक्षा संस्थानों में इस प्रकार के आयोजन अगर भविष्य मे होते है तो यह टकराव और बढेगा।