नियमतिकरण के नाम पर MCD में सफ़ाई कर्मचारियों के साथ सियासी खेल ! दिल्ली में भगवान वाल्मीकि के वंशजों को कब मिलेगा न्याय ?

संदीप शर्मा,नई दिल्ली,न्यूज़ नॉलेज मास्टर,(NKM न्यूज़)

आज देश भर में भगवान वाल्मीकि जयंती के अवसर पर कई कार्यक्रम किये जा रहे हैं। बड़ी धूमधाम से शोभा यात्राएं निकाली जा रही है। वाल्मीकि बस्तियों और मंदिरों में सभी पार्टियों के नेता मीडिया चैनल्स पर स्वयं को ऐसे प्रस्तुत करते दिखाई दे रहे हैं कि जैसे उनसे बड़ा वाल्मीकि समाज का कोई हितेषी ही नही है । जबकि हक्कीत यह है कि वाल्मीकि समाज आज भी हाशिये पर खड़ा है ।
आखिर क्यों 21वीं सदी के भारत मे आज भी गन्दगी से भरे गटर में उतर कर ये सफ़ाई कर्मचारी जिंदगी जीने को मजबूर है ? रोज़ ज़िंदगी का ज़हर पीने वाले ये कर्मचारी भली भांति जानते हैं कि कभी भी मौत का शिकार हो सकते हैं, बावजूद इसके वे जहरीले गटरों में उतरने के लिए बाध्य हैं।। गटर की ज़हरीली गैस से आये दिन सफाई कर्मचारियों की मौत प्रशासन और सरकार की संवेदनहीनता पर प्रश्नचिन्ह लगती है। इन तमाम चुनोतियों के बावजूद यह देश की राजधानी की साफ सफाई में जुटे रहते हैं।

कर्मचारियों के नियमतिकरण पर BJP की नीति पर प्रश्नचिन्ह ?

देश की राजधानी दिल्ली को तीनो निगमों में कार्यरत ये अस्थायी सफाई कर्मचारी नियमतिकरण की मांग को लेकर अक्सर धरना, प्रदर्शन, भूख हड़ताल करते दिखाई देते हैं । पिछले 15 सालों से निगम की सत्ता पर काबिज BJP ने इन कर्मचारियों की सुध अभी तक नहीं ली है । आखिर इन सफाई कर्मचारियों को नियमित क्यों नहीं किया जा रहा ? क्या वजह है कि कर्मचारियों को नियमतिकरण से लेकर वेतन के लिये सड़को पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ता है। कोरोना काल मे वाल्मीकि समाज से संबंध रखने वाले सफाई कर्मचारियों ने जिस कर्तव्य निष्ठा से काम किया है यह किसी से छिपा नहीं है। हैरत की बात तो यह है कि भारतीय जनता पार्टी पिछले 15 वर्षों से निगम के सत्ता पर काबिज है । निगम कि सत्ता में बैठी BJP और प्रशासनिक अधिकारियों ने इन सफाई कर्मचारियों के साथ सिर्फ खेल ही खेला है । नियमतिकरण के नाम पर निगम प्रशासन और BJP सफाई कर्मचारियों से मज़ाक ही कर रही है।

साल 2015 में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल और तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त का नियमतिकरण पर महत्वपूर्ण आदेश :-

साल 2015 के दौरान सफाई कर्मचारियों की यूनियन ने हड़ताल की जिसके फलस्वरूप उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पूर्व अतिरिक्त आयुक्त / डेम्स दीपक हस्तीर ने आदेश आदेश संख्या डी -113,दिनांक 4 अप्रैल 2015 को एक आर्डर निकाला जिसमें उन्होंने फेज़ मेनर पॉलिसी के तहत 31 मार्च 2012 तक नियुक्त सभी सफाई कर्मचारियों को नियमित करने की बात कही थी । इस आर्डर में यह भी कहां गया कि 3 महीने के अंदर डैमस समिति/ स्थाई समिति/ सदन की बैठक में एक प्रियंबल भी लाने का प्रस्ताव था। लेकिन यह प्रियंबल आज तक नहीं लाया गया।

2017 में कर्मचारियों का चक्का जाम और तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त का अति महत्वपूर्ण आदेश जारी करना :-

साल 2017 के दौरान सफाई कर्मचारियों की यूनियन द्वारा चक्का जाम हड़ताल की गई जिसके फलस्वरूप उत्तरी दिल्ली नगर निगम पूर्व अतिरिक्त आयुक्त / डेम्स दीपक हस्तीर ने दिनांक 20 अक्टूबर 2017 को D -713 एवं D -714 अति आवश्यक आदेश निकाला जिसके तहत उन्होंने निगम के विभिन्न विभागों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी जो दिनांक 1 अप्रैल 1998 से 31 मार्च 2017 तक नियुक्त हैं उन्हें एक ही बार थी अर्थात एकमुश्त बिना एरियर राशि देने के साथ नियमित करने की बात कही थी इस आर्डर में प्रक्रिया को 3 दिन के भीतर पूर्ण करने के लिए कहा गया था
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उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पूर्व अतिरिक्त आयुक्त डेम्स दीपक हस्तीर पुनः दिनांक 24 नवंबर 2017 को अपने ऑर्डर संख्या D-796 द्वारा दिनांक 20 अक्टूबर 2017 को पारित किए गए आदेशों डी 713 और डी 714 को अति आवश्यक का संज्ञान लेते हुए फिर 2 दिन के अंदर सफाई कर्मचारियों को नियमित करने संबंधित सारी प्रक्रिया पूरी करने की बात कही थी लेकिन हैरत का विषय यह है कि उपरोक्त इन आदेशों पर कार्रवाई आज तक नहीं हो सकी। मतलब साफ है कि कही न कहीं इस मुद्दे पर दिल्ली BJP का शीर्ष नेतृत्व गंभीर नही है।
एकमुश्त नियमतिकरण के आदेशों के बावजूद किस्तो में क्यों ?
इस साल जारी अक्टूबर महीने की 13 तारीख को 21 सफ़ाई कर्मचारियों और 18 तारीख को 88 सफ़ाई कर्मचारियों के नियमतिकरण के पत्र जारी किये गये हैं और यह कहा जा रहा है कि यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।मतलब साफ है कि वाल्मीकि समाज के लोगों को इसी तरह से सियासत का शिकार होते रहेंगे । कर्मचारियों के साथ इसे घिनौना मजाक ही कहा जायेगा। इन कर्मचारियों को पिछले 15 सालों से झूठे आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला । वोट बैंक की राजनीति के तहत इन कर्मचारियों को पिक एंड चूस के आधार पर समय समय पर नियमित किया जाता रहा लेकिन इन कर्मचारियों को एक साथ एक मुश्त नियमित नहीं किया गया।
AAP की केजरीवाल सरकार के रवैये पर भी सवाल

अरविंद केजरीवाल हाथ में झाड़ू पकड़ कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज तो हो गए लेकिन पिछले सात साल से सत्ता सुख भोग रही आम आदमी पार्टी ने भी इन सफाई कर्मचारियों की सुध कभी नहीं ली। कोरोना कॉल मी जिन सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई दिल्ली सरकार ने उन्हें 1 करोड़ की राशि क्यों नही दी ? क्या केजरीवाल की नज़र में कोरोना काल मे अपनी जान गंवाने वाले निगम कर्मचारी कोरोना योद्धा नही हैं ? वाल्मीकि जयंती के अवसर पर दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में कार्यक्रम करने वाली दिल्ली सरकार हाशिये पर खड़े इस समाज के लिए क्या कर रही है ? वेंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस पार्टी की दिल्ली और देश की मौजूदा राजनीतिक प्रासंगिकता पर कुछ लिखने की ज़रूरत नही है । लगातार अपना जनाधार खो रही कांग्रेस पार्टी का कभी वाल्मीकि समाज बड़ा वोट बैंक था लेकिन उसके शासनकाल में भी वाल्मीकि समाज की स्थिति में भी कोई बदलाव नही आया लिहाज़ा ये वोट बैंक AAP के पास खिसक गया । AAP की सरकार भी वाल्मीकि समाज की अपेक्षाओं पर खरी नही उतरती दिखाई दे रही। ऐसे में वाल्मीकि समाज सभी सियासी दलों से ठगा हुआ महसूस कर रहा है।

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