जानिए चेतन भगत से बैंक कर्मचारी क्यों हुए नाराज़

न्यू दिल्ली, न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM),FICCI, ASSOCHAM के बाद अब चेतन भगत ने भी पब्लिक सेक्टर के बैंकों को प्राइवेट करने, बैंकों को मर्ज करने की वकालत की है। नेशनल आर्गेनाईजेशन ऑफ़ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्वनि राणा ने चेतन भगत के दिए गए बयान का विरोध करते हुए कहा कि क्या वे भूल गए हैं की इन्हीं पब्लिक सेक्टर बैंकों के सहयोग से ही आज यह देश इन उचाईयों पर पहुंचा हैं। देश में आर्थिक, औद्योगिक तथा कृषि क्षेत्र में प्रगति के लिए इन पब्लिक सेक्टर बैंकों का बहुत बड़ा योगदान है।

बैंकों के 1969 में राष्टीयकरण से पहले 20 वर्षों में 726 प्राइवेट बैंक डूबे थे। और राष्ट्रीयकरण के बाद अभी तक 36 प्राइवेट बैंक डूब चुके हैं जिन्हें बचाने के लिए सरकार ने पब्लिक सेक्टर बैंकों को ही सौंपा है।

बैंक कर्मचारियों द्वारा पहले जनधन खाते खोलने तथा बाद में नोट बंदी को सफल बनाने के बाद
आज पब्लिक सेक्टर बैंकों के कर्मचारी बहुत ज्यादा काम के कारण शारीरिक तथा मानसिक दबाव में हैं। बैंकों के नियमित काम के अलावा सरकार की सभी योजनाओं जैसे मुद्रा लोन, अटल पेंशन योजना को लागू करना तथा सभी तरह की सब्सिडी सीधे बैंक खातों में क्रेडिट करने का काम भी कर रहे हैं।

इतना करने जे बाद भी चेतन भगत जैसे कुछ बुद्धि जीवी लोग जब बैंकों और बैंक कर्मचारियों पर उंगली उठाते हैं तो कष्ट होता है। अगर इन लोगों को आज की परिस्थिति में बैंकों में एक दिन भी काम करना पड़े तो निश्चित रूप से ये लोग बैंक कर्मचारियों की वास्तविक स्तिथि से अवगत हो सकेगें।
NOBW के उपाध्यक्ष ने इन सभी बुद्धि जीविओं से अनुरोध किया कि बैंकों तथा बैंक कर्मचारियों को कोसना बन्द करें और वास्विकता को समझने की कोशिश करें।

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