बैंक कर्मचारी नाराज़,पब्लिक सेक्टर बैंकों के साथ खिलवाड़ न करे सरकार- अशवनी राणा

बैंक कर्मचारी पब्लिक सेक्टर के बैंकों के प्रति सरकार केड़ रुख से नारज़ नज़र आ रहे हैं । नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अशवनी राणा ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए सरकार के बैंको के प्रति रवैये पर सवाल खडे किए हैं अशवनी राणा ने पब्लिक सेकटर के बैंको के मर्जर को लेकर वित्त मंत्रालय,बैंकिग बोर्ड़ ब्यूरो,आरबीआई और नीति आयोग के अलग-अलग रुख पर निशाना साधा है। अशवनी राणा के मुताबिक सरकार के इन चारों संगठनों की पब्लिक सेक्टर के बैंको को लेकर अलग अलग राय सामने आ रही है।
केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते में घोषणा की कि सरकार पब्लिक सेक्टर के बैंकों में आने वाले 2 सालों ने 2.11 लाख करोड़ डालेगी। अगले दिन ही बैंकों के शेयर बढ़ गये।लेकिन कल फिर सरकार ने वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर दिया जो की बैंकों के मर्जर के प्रस्तावों पर विचार कर उन्हें आगे बढ़ाएगी।अजीब मजाक है वित्त मंत्रालय एक बात कहता है, बैंकिंग बोर्ड ब्यूरो दूसरी बात कहता है , आर बी आई तीसरी बात कहता है और नीति आयोग में बैठे एक्सपर्ट्स अलग ही बात करते हैं। इससे साफ पता चलता है की सरकार के इन संघटनो में एक राय नही है फिर भी सरकार बैंकों के बारे में इतना बड़ा फैसला लेने के लिए तैयार है।

अशवनी राणा के मुताबिक सरकार को समझना चाहिए की सरकार का इन बैंकों में एक बड़ा हिस्सा है और वह इसके 100% मालिक नही है ।इसलिए सरकार को इनके बाकी स्टेक होल्डर्स जैसे शेयर धारक, बैंक प्रबंधन, बैंक कर्मचारी यूनियंस से भी इसबारे में विचार करना चाहिये और उसके बाद ही मर्जर का कोई फैसला लिया जाना चाहिए।

सरकार यदि वास्तव में कोई बड़ा बैंक बनाना चाहती है तो क्यों नही 56 रिजिनल रूरल बैंकों को मिलाकर राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना की करती। देश भर में इन बैंकों की 22 हजार शाखाओं का और 11 हजार माइक्रो सेंटर्स का नेट वर्क है तथा 80 हजार कर्मचारियों के साथ देश के ग्रामीण छेत्रों में बैंकिंग की सुविधाएं दे रहे है। अशवनी राणा का कहना है कि NOBW की सरकार से मांग है की पब्लिक सेक्टर के इन बैंकों के साथ हिट एंड ट्रायल का फार्म्युला ना अपनाएं।

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