यौन-अपराधों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी में मोदी सरकार। ढ़िलाई बरतने वाले अधिकारियों पर गिरेगी गाज

न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM),देश में महिलाओं और बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों में बढ़ोतरी को लेकर मोदी सरकार गंभीरता से ले रही है..अभी हाल ही में कठुआ रेप और हत्याकांड हो या फिर उन्नाव और सूरत का मामला इन सब पर सरकार विपक्ष के निशाने पर है। सवाल इन मुद्दों पर होने वाली सियासत का नहीं है। सवाल सरकारों की इन संवेदनशील मुद्दों पर गंभीरता का है। मोदी सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सभी राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के नाम लिखे गए पत्र में महिलाओं और बच्चों के विरूद्ध होने वाले अपराधों को रोकने और नियंत्रित करने में राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों को रेखांकित किया है। पत्र में जिन कदमों को जिक्र किया गया है, उनमें कुछ इस प्रकार हैं :-

-सभी पुलिस अधिकारियों को यौन अपराधों के विभिन्न पहलुओं, विशेषकर साक्ष्य एकत्रित और संरक्षित करने से जुड़े पहलुओं, के बारे में फिर से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

-सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए जा सकते हैं कि वे बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध के मामलों की जांच सख्ती से कानून की समयसीमा के अंदर पूरी करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

-राज्य सरकारों को वैसे पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो जांच में बाधा डालते पाए जाते हैं या अपराधियों के साथ साठगांठ कर रहे हैं।

-तेज और समयबद्ध पेशेवर जांच ही एक तरीका है जिसमें सम्भावित अपराधी को रोका जा सकता है, लेकिन यह राज्यों द्वारा ही किया जा सकता है, क्योंकि पुलिस विभाग राज्य का विषय है। इस संबंध में केवल यौन अपराधों के लिए या बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों के लिए विशेष सेल गठित करना महत्वपूर्ण कदम होगा।

-महिला और बाल विकास मंत्री ने राज्यों में फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को स्थापित करने में राज्य सरकारों को मदद की पेशकश की। इन प्रयोगशालाओं का इस्तेमाल यौन अपराधों की जांच में साक्ष्य के फोरेंसिक विश्लेषण के लिए किया जा सकता है।

महिला और बाल विकास मंत्री ने राज्यों के अनुरोध किया कि वे चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर – 1098 के साथ पॉक्सो के अंतर्गत स्थापित ई-बॉक्स का उपयोग बच्चों में जागरूकता पैदा करने के लिए करें। मेनका गांधी ने यह भी बताया कि अब तक महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा हिंसा से प्रभावित महिलाओं के लिए 175 वन-स्टॉप सेंटर स्थापित किए गए हैं। वन-स्टॉप सेंटर उन महिलाओं की मदद के लिए है, जिनकी पहुंच पुलिस या चिकित्सा सुविधाओं तक नहीं है या जो विपदा के समय थाने में जाने में सक्षम नहीं हैं।

पत्र में इस बात पर बल दिया गया है कि जिन मामलों में रिपोर्ट और रिकॉर्ड रखने में विफलता हुई है, उन मामलों में पॉक्सो अधिनियम के अनुच्छेद 21 को लागू किया जा सकता है। अनुच्छेद 21 में व्यवस्था है कि अनुच्छेद 20/21 के अंतर्गत रिपोर्ट करने और रिकॉर्ड रखने में विफल किसी अधिकारी को दंडित किया जा सकता है।

महिला और बाल विकास मंत्री ने महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों से निपटने के लिए राज्य सरकारों से सुझाव मांगा है।

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