सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली नगर निगम के डोमेस्टिक ब्रीडिंग चैकर के बढ़े वेतन के आदेश को रखा बहाल

एंटी मलेरिया कर्मचारी संघ के चेयरमैन विनोद शर्मा और महासचिव अशोक चौधरी ने संयुक्त वक्तव्य में बताया कि वर्ष 1996 से दिल्ली नगर निगम में अनुबंध पर कार्यरत डेंगू मलेरिया तथा चिकनगुनिया जैसे खतरनाक बीमारी की रोकथाम करने वाले डोमेस्टिक ब्रीडिंग चैकर के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा फूड हाइजीन बेलदार के वेतन के समान ही मिनिमम आफ बेसिक पे + ग्रेड पे + वेरिएबल डी ए के साथ वेतन देने के निर्णय में कोई हस्तक्षेप करने से मना करते हुए उच्च न्यायालय के निर्णय को सही बताया है।
ज्ञातव्य हो कि जनवरी 2015 में कैट में मिनिमम ऑफ बेसिक पे+ ग्रेड पे+ वेरिएबल डी ए के साथ वेतन देने हेतु याचिका डोमेस्टिक ब्रीडिंग चैकर द्वारा दायर किया था। जिसका आदेश कैट से 16 जुलाई 2018 को आया इन कर्मचारियों के पक्ष में आया। जिसके विरुद्ध दिल्ली नगर निगम ने केट्स के निर्णय के विरुद्ध दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील दायर की जिसके बाद 4 दिसंबर 2019 को उच्च न्यायालय के दो जजो की खंडपीठ ने डी बी सी कर्मचारियों को मिनिमम ऑफ बेसिक पे+ प् ग्रेड पे+ वेरिएबल डी ए के साथ फूड हाइजीन बेलदार के बराबर वेतन देने का आदेश दिया।

इसके खिलाफ तीनों एम सी डी ने सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2021 में एस एल पी दायर की जिसकी सुनवाई करते हुए 25 मार्च 2025 को तीनों निगमो के एस एल पी को खारिज कर दिया और 4 दिसंबर 2019 के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से मना कर दिया।
डीबीसी कर्मचारियों को 29 साल बाद सुप्रीम कोर्ट से एक ऐतिहासिक जीत हुई है। इस आदेश के बाद डीबीसी कर्मचारियों को अपने कार्य के लिए सम्मान जनक वेतन मिलेगा जिससे ये कर्मचारी अपने परिवार का पालन पोषण अच्छे ढंग से कर पाएंगे । इस समय डीवीसी कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी दी जाती है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली नगर निगम की रिट रद्द किए जाने के पश्चात दिनाँक 28 मार्च 2025 को आवेदक 54 डीबीसी कर्मचारियों ने अपने वकील आनंद नंदन जी के माध्यम से न्यायालय के आदेश के अनुसार 1 अप्रैल 2013 से नया वेतन व एरियर देने के लिए एक पत्र निगम आयुक्त ,अतिरिक्त निगम आयुक्त स्वास्थ्य तथा निगम स्वास्थ्य अधिकारी को रिसीव करा दिया गया है जिसमें न्यायालय के आदेश को तामील करने हेतु 15 दोनों का समय दिया गया है। यदि जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से 15 दिनों के अंदर डीवीसी कर्मचारियों को फूड हाइजीन बेलदार के समान वेतन देने का विभागीय आदेश जारी नहीं किया जाता है तो दिल्ली उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की जाएगी।

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