हिमाचल चुनाव : बीजेपी-कांग्रेस के सरदर्द बने बागी बदल सकते है सूबे के सियासी समीकरण !
नांमांकन वापिस लेने की अवधि समाप्त होते ही हिमाचल विधानसभा के सियासी घमासान मे चुनावी तसवीर स्पष्ट दिखाई दे रही है। बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के बागियों ने बगावत का झंडा बुलंद करके अपनी पार्टियों के लिए जहां मुसीबत बढ़ा दी है वहीं सूबे के सियासी समीकरणों पर भी इसका असर पड़ता दिखाई दे रहा है।
प्रदेश की 68 सीटों के लिए 348 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। भाजपा व कांग्रेस के सात-सात बागी मान-मनौव्वल की तमाम कोशिशों के बावजूद चुनाव मैदान से नहीं हटे। प्रदेश में नौ सीटों पर तिकोना मुकाबला होगा। नुरपुर, बंजार, आनी, नाचन, चिंतपूर्णी, दून, जुब्बल-कोटखाई, रेणुका में तीन-तीन प्रत्याशियों के बीच में मुकाबला है। वहीं धर्मशाला सीट पर सबसे अधिक 12 प्रत्याशी मैदान में डटे हुए हैं। लिहाज़ा हिमाचल चुनावी रण काफी दिलचस्प हो गया है।
बीके चौहान (चंबा), हिरदा राम (रेणुका जी), लेखराज शर्मा (नादौन), प्रवीण शर्मा (पालमपुर), बलदेव ठाकुर (फतेहपुर), रविंद्र सिंह मान (ऊना), गजेंद्र ठाकुर (मनाली) कांग्रेस के बागी हरीश जनार्था (शिमला शहरी), पूर्ण चंद ठाकुर (द्रंग), हरदीप सिंह बावा (नालागढ़), राजेंद्र कारपा (लाहुल-स्पीति), जनम सिंह (भरमौर), सिंघी राम (रामपुर) व रेणुका डोगरा (कुल्लू)। ये वो नाम है जो सूबे के सियासी समीकरणों बदलने का मादा रखते हैं।
धूमल के गृह जिला हमीरपुर के नादौन से बागी लेखराज शर्मा हटने को तैयार नहीं हुए। शांता के गृह हलके पालमपुर से प्रवीण शर्मा भी नहीं माने। भाजपा के सात नेता पार्टी से नाराज हो चुनाव मैदान में डटे हैं। कांग्रेस भी बागियों को मना नहीं पाई। शिमला शहरी से हरीश जनारथा, द्रंग से पूर्ण चंद ठाकुर व नालागढ़ से बाबा हरदीप सिंह चुनावी रण में हैं।
विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश में कुल 476 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किए थे। जांच के दौरान तकनीकी खामियों के कारण 82 आवेदन खारिज किए गए, जिनमें आइपीएच मंत्री विद्या स्टोक्स का ठियोग से भरा पर्चा भी शामिल है। नाम वापसी के अंतिम दिन 46 प्रत्याशियों ने नामांकन वापस लिया। राज्य चुनाव विभाग की ओर से वीरवार को उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी कर दी गई है। प्रदेश में सभी 68 सीटों पर नौ नवंबर को मतदान होगा।