उत्तरी दिल्ली नगर निगम के 687 अनुबंध टीचर्स के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी ने सत्तापक्ष बीजेपी को घेरा ।

दिल्ली नगर निगम चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी हर मुद्दे पर सत्तापक्ष बीजेपी को घेरने में जुटी दिखाई दे रही है…कोरोना काल मे निगम के स्कूलों में पढाने वाले अनुबंध शिक्षक पिछले कई दिनों से अपने कॉन्ट्रेक्ट को रिन्यू करवाने की जद्दोजहद मे लगे हुए हैं लेकिन इनकी मांग पर कोई ध्यान नही दिया गया…अब आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे पर सत्तापक्ष बीजेपी को घेरेने मे जुट गई है.

AAP प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि

उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने 687 अध्यापकों को नौकरी से निकालकर छात्रों को प्राथमिक शिक्षा देना बंद कर दिया है। भाजपा शासित एमसीडी द्वारा पहली से पांचवीं तक के बच्चों की पढ़ाई बंद कर देने से स्कूलों में 70 हजार छात्र कम हो गए हैं। उत्तरी दिल्ली नगर निगम का कहना है कि कोरोना के समय हम बच्चों को शिक्षण नहीं दे रहे, कोरोना महामारी के समय शिक्षा देने से बच्चों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल से उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने प्राथमिक शिक्षा ही देना बंद कर दिया। इससे सोचिए उन बच्चों का क्या हुआ होगा? दिल्ली में जितने भी प्राइवेट स्कूल हैं वहां पर छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा दी जाती है, लेकिन उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने यह बंद कर दी। अध्यापकों की समस्या ‌को शिक्षा मंत्री के सामने रखेंगे और हल निकालने की कोशिश करेंगे।

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आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने पार्टी मुख्यालय में शुक्रवार को प्रेस वार्ता को संबोधित किया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के स्कूलों के अंदर पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 70 हजार कम हो गई है। दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में 70 हजार बच्चे कम क्यों हुए है और दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों में छात्र बढे हैं, इसका क्या कारण हो सकता है? इसके बारे में छानबीन करने के दौरान उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अध्यापकों से हमारी मुलाकात हुई। अध्यापकों ने हैरान करने वाली बात बताई, जिसका अंदेशा हमें भी नहीं था।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा समग्र शिक्षा अभियान योजना‌ चलाई गई है। जिसमें केंद्र और राज्य सरकार मिलकर एमसीडी के स्कूलों के अंदर अध्यापकों की तनख्वाह देते हैं। हैरान करने वाली बात है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के शिक्षा विभाग मुख्यालय श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर की ओर से 7 सितंबर 2020 को एक चिट्ठी लिखी गई। जिसके अंदर दिल्ली सरकार से कहा कि हम प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को निकाल रहे हैं। क्योंकि कोरोना के समय हम बच्चों को शिक्षण नहीं दे रहे हैं। कोरोना महामारी के समय शिक्षा देने से बच्चों को ही नुकसान होगा

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सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने इसलिए पिछले साल 687 अध्यापकों को नौकरी से निकाल दिया। जिसकी वजह से अध्यापकों के घर के अंदर एक साल से राशन तक नहीं आ रहा है। इस दौरान कोरोना तो था ही, ऊपर से उनको तनख्वाह भी मिलनी बंद हो गई। अब सोचिए उन बच्चों और मां-बाप का क्या हुआ होगा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने पिछले डेढ़ साल से प्राथमिक शिक्षा ही देना बंद कर दिया।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूल छठवीं कक्षा ‌से ऊपर के स्कूल होते हैं। दिल्ली सरकार के बहुत कम स्कूल ऐसे हैं जो कि प्राथमिक शिक्षा देते हैं। दिल्ली में प्राथमिक शिक्षा एमसीडी के हाथ में है। दिल्ली में जितने भी प्राइवेट स्कूल है वहां पर छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा दी जाती है। मगर उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने यह शिक्षा बंद कर दी। इस कारण सभी अध्यापक अब बेरोजगार घूम रहे हैं। उन लोगों से हमारी मुलाकात हुई है। हमने कहा कि इस बात को शिक्षा मंत्री के सामने रखेंगे। इस समस्या का कुछ हल निकालने की कोशिश करेंगे।

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