प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने संसद में उठाया 1984 सिख दंगों का मुद्दा
न्यू दिल्ली,न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM NEWS) प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने 1984 में देश की राजधानी दिल्ली में हुए सिख दंगों का मुद्दा उठाया। पंजाब के श्री आनन्दपुर साहिब से अकाली दल सांसद ने केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से संसद में सभापति के माध्यम से अपील करते हुए कहा कि सिखों के क़त्लेआम के दोषी सज्जन कुमार से संबंधित इस मामले की सुनवाई अब अपने आखरी पड़ाव पर पहुँच चुकी है और इस केस की सुनवाई करने वाली जज की पदोन्नति और स्थान्तरण का सीधा असर इस केस के फैसले में देरी का कारण बनने की आशंका है। इसी संबंध में उन्होंने NKM NEWS से खास बातचीत में कहा कि ने कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील मामला है और इससे केस के फैसले में देरी होती है तो यह पीड़ितों के साथ नाइंसाफी होगी । ऐसे में केस में देरी होने की आशंका है,न्याययिक प्रक्रिया में और विलंभ न हो सरकार को कानूनी रूप से कोई ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए तांकि इंसाफ की राह देख रहे पीड़ित निराश न हों। यां ऐसी व्यवस्था कि जाये कि माननीय न्यायधीश मोहदया के स्थान्तरण से पूर्व ही इस केस का निर्णय ले लिया जाये यां फिर केस को शीघ्र फैसले के लिए किसी विशेष अदालत को सौंपा जाये । अगर यह केस किसी और जज को ट्रांसफर कि दिया जाता है तो इसमें निश्चित रुप से देरी होगी। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में भरोसा दिया है कि सरकार इस मुद्दे पर पूरा ध्यान देगी तांकि केस पर जल्द फैसला आये और दंगा पीडितों को इंसाफ मिल सके
शहीद उधम सिंह का मुद्दा भी संसद में गूंजा
चन्दुमाज़रा ने इससे एक दिन पहले शहीद उधम सिंह का मुद्दा भी उठाया। चन्दुमाज़रा ने कहा कि संसद की गैलरी में शहीद उधम सिंह की तस्वीर लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरे
स्वतंत्रता सेनानियों के साथ शहीद उधम सिंह का चित्र लगाकर उनकी देश के लिए दी शहादत को सच्ची श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए.. इंग्लैंड की धरती पर जाकर जलिया वाला बाग हत्याकांड के कातिलों से जो बदला लिया उनके उस पराक्रम का देश स्दैव ऋणी रहेगा…अगर शहीद उधम सिंह ने इंगलैंड़ की धरती पर जाकर उनके अंग्रेज ऑफिसर जनर्ल अड़वइर का का खून न बहाया होता तो हमें आज़ादी इतनी जल्दी हासिल नहीं होती… पूर्ववर्ती सरकारों ने स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने में भी भेदभाव किया है…पंजाब के शहीदों ने देश की आज़ादी में आगे बढ़कर अपना योगदान दिया है,काले पानी की जेल में हुए अत्याचार को सहन किया,फांसी के फंदे को हसकर चूमा। लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने जहां दूसरे लीड़रो की क्रंसी पर फोटो छापे उनको सम्मान दिया वो सम्मान इन्हेैं नहीं दिया गया। आज़ादी के 70 साल बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जलियां वाला बाग के बाहर इनकी मूर्तियां लगवाई।
NRC मुद्दे पर विपक्ष द्वारा हंगामा किये जाने को ठहराया गलत
संसद में असम में NRC के मुद्दे पर भी अकाली दल (SAD) पर अपना रुझान साफ़ करते हुए कहा की माननीय अधिकारों का बेशक हनन नही होना चाहिए लेकिन विपक्ष द्वारा किये जाने वाला हंगामा किसी भी सूरत में ठीक नहीं है और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में जो वक्तव्य दिया है उस पर विपक्ष को भरोसा रखते हुए सदन की कार्यवाही में ख़लल नहीं डालना चाहिए।