श्री देवोत्थान सेवा समिति ने विभिन्न श्मशान घाटों से इक्क्ठी की अस्थियों का गंगा जी में किया विसर्जन

न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM NEWS),हिन्दु धर्म में संस्कारों का बहुत महत्व है..हिन्दु धर्म में जन्म लेने वाले व्यक्ति का पूरा जीवन ही संस्कारों से जुड़ा रहता है बल्कि मृत्यु के बाद भी संस्कारों से यह जुडाव आत्मा की मुक्ति तक रहता है...वहीं हिन्दु धर्म मे कि किसी भी वयक्ति की मृत्यु के पश्चात उसका दाह संस्कार किया जाता है...मुत व्यक्ति के शव को अग्नी में जला कर उसकी अस्थियों का विधि पूर्वक नदी के जल में विसर्जन किया जाता है..इसमें गंगा मैया में अस्थि विसर्जन का विशेष महत्व है।
इस दुनियां से कुछ की ऐसे बदनसीब भी रुखसत होते हैं जिनका किन्हीं कारणों से अंतिम संस्कार की रस्में पूरी करने वाला कोई नहीं होता...ऐसी ही आत्माओं की मुक्ति के लिए दिल्ली की श्रीदेवोत्थान सेवा समिति विगत पिछले 17 सालों से प्रति वर्ष पितृपक्ष में उत्तर भारत के विभिन्न श्मशान घाटों मे ऱखी उन अस्थियों का विसर्जन करता है जिनका कोई सगा संबंधी नहीं होता या किन्ही कारणों से अस्थि कलश श्माशान भूमि में छोड़ जाते हैं.


समित पिछले 17 सालों से 1,28,493 हुतात्माओं की अस्थियों का विसर्जन कर चुकी है...पिछले कई सालों की भांति इस साल भी 20 सितंबर की सुबह पांच झांकियों,बैंड़ बाजों व तकरीबन 400 श्रद्धालुओं के साथ यात्रा आईटीओ स्थित शहीद पार्क से रवाना होकर हरिद्वार पहुंची..सभी संगृहित अस्थि कलशों का विधि विधान से कनखल के सतीघाट पर विसर्जन किया गया।

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