दिल्ली नगर निगम की नई हाज़री प्रणाली से क्यों कर्मचारी परेशान ? विपक्ष ने उठाये सवाल
न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM न्यूज़),उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कर्मचारियों की उपस्थिति की नई प्रणाली लागू की गई है..जिससे कर्मचारी काफी परेशान और नाखुश नज़र आ रहे है। दरअसल इस प्रणाली के तहत कर्मचारियों को अपने मोबाइल में एक ऐप डाउनलोड करना होगा और उस ऐप के माध्यम से कर्मचारी हाजरी लगा सकेंगे। कर्मचारियों को स्मार्टफोन से अपनी फ़ोटो खींचकर लोकेशन के साथ इस ऐप पर अपलोड करना होगा । निगम कर्मचारियों को लागू की गई प्रणाली सिरदर्द लग रही है ।
नई उपस्थिति प्रणाली से क्यों नाखुश हैं कर्मचारी ?
1.निगम कर्मचारियों को इस नई हाज़री प्रणाली से कई परेशानियां हैं। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि ऐसे कर्मचारियों की संख्या काफी बड़ी है जिनके पास स्मार्टफोन नाम की चिड़िया नही है। वह आज भी बेसिक फोन से ही अपना काम चला रहे हैं ल। इन कर्मचारियों में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं । ज्यादातर सफाई कर्मचारी,माली, बेलदार,चपरासी-चैकीदार,डीबीसी कर्मचारियों के पास बेसिक मोबाइल फ़ोन ही है।
2.नेट पैक के पैसे नहीं हैं
कई निगम निगम कर्मचारियों से NKM NEWS की बात हुई,जिनके मुताबिक स्मार्टफोन तो है लेकिन उसमें नेट पैक नही है। नेट पैक तब डलेगा जब जेब मे पैसे होंगे। रही बात पैसे की तो मामला यह है कि इन निगम कर्मचारियों को पिछले कई महीनों से वेतन नहीं मिल रहा..जिसकी वजह से आप इन्हें आये दिन धरना प्रदर्शन करते देख सकते हैं । आलम यह है कि आजकल तीन चार महीने मेंएक बार वेतन की शक्ल देख कर ही ये खुद को भाग्यशाली समझने लगे हैं। ऐसे में बिना वेतन काम करने वाले कर्मचारियों को यह नई प्रणाली रास नही आ रही। अब आप समझ चुके होंगे कि कर्मचारियों के पास मोबाईल में नेट डलवाने के पैसे क्यों नहीं हैं?
3.स्मार्टफोन होते हुए भी इस्तेमाल नही कर पा रहे?
कुछेक कर्मचारियों से हमारी बात हुई..वे कहते हैं की कोरोना की वजह से आजकल बच्चों की ऑनलाइन पढाई चल रही है। बहुत सारे निगम कर्मचारियों के फोन तो उनके बच्चों ने हथिया लिए हैं। और स्मार्टफोन होते हुए भी बेसिक फोन से कम चला रहे हैं। आखिर नया स्मार्टफोन कम से कम आठ से दस हज़ार का मिलता है…वेतन न मिलने से कंगाली में आटा गीला,वेतन नही मिल रहा.. नया फोन कहां से लाएं । बच्चों की पढ़ाई खराब कर नही सकते। वैसे भी बीवी बच्चों के सामने किसकी चलती है?
जिस कर्मचारी को तीन चार माह से वेतन न मिला हो उसकी घर मे कितनी चलती होगी आप समझ सकते हैं।
इस टिप्पणी में महिलाकर्मी अपवाद हैं जो घर और बाहर दोहरी भूमिका निभा रही हैं।
4.नेटवर्क की समस्य भी आ रही है आड़े
निगम कर्मचारियों को नेटवर्क की समस्या से भी दो-चार होना पड़ रहा है..ख़राब नेटवर्क के चलते कर्मचारियों का कहना है कि उनकी काम पर आने के बावजूद गैरहाज़िरी लग जाने के लिए स्थिति में क्या करें? ऐसे में कर्मचारी निगम के हाज़री लगाने की नई प्रणाली से नाखुश नज़र आ रहे हैं।
5.नई प्रणाली काफी जटिल है।
कर्मचारियों का कहना है कि नई प्रणाली बड़ी संख्या में कर्मचारियों के लिए जटिल साबित हो रही है । उन्हें ऐप के माध्यम से हाजिरी लगाना काफी कठिन लग रहा है कर्मचारियों का मानना है कि किसी भी प्रणाली को लागू करने से पहले कर्मचारियों को उसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए था उसके बाद ही उसे पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए ।
6. कई कर्मचारी दिल्ली एनसीआर के इलाकों में रहते हैं जिन्हें काफी दूरी तय करके ऑफिस पहुंचते हैं। कुरौना काल में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था भी चरमराई हुई है मेट्रो और बसों के अंदर सीमित संख्या में यात्री ही सफर कर सकते हैं । ऐसे में इन कर्मचारियों को कार्यस्थल पर पहुंचने में काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि कई केंद्र और राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों को रोज़ाना ऑफिस न बुलाकर वैकल्पिक दिनों में बुला रहे हैं। ऐसे में निगम कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना काल मे परिवहन व्यवस्था को मध्यनजर इस नई प्रणाली को टाला जाना चाहिए।
नई उपस्थिति प्रणाली पर नेता सदन और स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन की प्रतिक्रिया
हमने कर्मचारियों की यह समस्या सत्ता पक्ष के सामने रखी। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता सदन योगेश वर्मा का कहना है बदलते वक्त के साथ नई प्रणालियां नई व्यवस्थाएं लागू करना जरूरी है, कर्मचारियों को भी व्यवस्था को अपनाना के लिए तैयार रहना चाहिए. .वही नेता सदन कर्मचारियों को आश्वासन दे रहें हैं कि इससे घबराने की ज़रूरत नही है।
वही स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन छैल बिहारी गोस्वामी कहते हैं कर्मचारियों के साथ हर तरह की रियायत बरती जाएगी। कर्मचारियों को जहां भी जरूरत होगी इस मामले में उन्हें पूरा सहयोग दिया जाएगा। अगर किसी कर्मचारी को इस बाबत कोई समस्या पेश आती है तो वह अपने संबंधित अधिकारी से संपर्क कर सकता है।
नई प्रणाली को लेकर क्या कहता है विपक्ष
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता विपक्ष विकास गोयल कहते हैं कि यह भाजपा शासित नगर निगम का तानाशाही रवैया है । एक तरफ तो इनके पास कर्मचारियों को वेतन देने का पैसा नहीं है दूसरी तरफ़ नई नई योजनाएं लाकर पैसा बहाया जा रहा है। विकास गोयल सवाल उठा रहे हैं कि आखिर ऐसी योजनाओं के लिए इनके पास पैसा कहां से आ जाता है। उनका कहना है कि न न करते इस योजना पर निगम ने 100 से 150 करोड़ ख़र्च किए हैं। विपक्ष को इस योजना में भी भी सत्ता पक्ष का भ्र्रष्टाचार नज़र आ रहा है। विकास गोयल का कहना है कि जो अनुबन्ध कर्मचारी ₹14000 मासिक वेतन पर काम कर रहा है वह इतनी कीमत का स्मार्टफोन कहां से लेकर आएगा यह सरसर सत्तापक्ष की तानाशाही है।
क्या कहते हैं कांग्रेस पार्टी के नेता मुकेश गोयल
कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल का भी मानना है कि इस नई प्रणाली की अभी जरूरत नहीं है मुकेश गोयल कहते हैं कि वक्त के साथ बदलाव जरूरी है लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी उत्तरी दिल्ली नगर निगम की व्यवस्था को दुरुस्त करना है लेकिन आज निगम की स्थिति अच्छी नही है। मुकेश गोयल सवाल उठाते हैं कि कर्मचारियों को वेतन देने के लिए आपके पास फंड नही है। इस नई प्रणाली को लागू करना चाहते हैं तो फिरकर्मचारियों को स्मार्ट फोन उपलब्ध करवाना और नेट पैक का खर्चा भी निगम को ही देना चाहिए।
गौरतलब है कि इससे पहले भी नगर निगम में कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली लागू की गई लेकिन कई कारणों से यह सफल साबित नही हुई और कर्मचारियों वापिस मैनुअली हाज़री लगा रहे हैं। अब देखना होगा कि नई प्रणली परवान चढ़ेगी यां फिर उसका हाल भी बायोमेट्रिक वाला होगा।