मुण्डका अग्निकांड के बहादुरों से मिले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
न्यूज़ नॉलेज मास्टर,NKM NEWS,मुण्डका हादसे में अपनी जान की बाजी लगाकर दूसरों की जान बचाने वाले बहादुर दिल्ली वालों से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुलकात की सराहना की और कहा कि इसी तरह दिल्ली एक-दूसरे का सुख-दुख में साथ देती है। हम सब लोगों को एकजुट होकर हमेशा एक-दूसरे की मदद करते रहना है ।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले बाहरी दिल्ली के मुण्डका इलाके में एक बहुमंजिला इमारत में भीषण आग लग गई थी। इस दर्दनाक हादसे में कई लोगों की जान चली गई, जबकि कई लोग घायल हुए हैं और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस दौरान बहुमंजिला इमारत में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए स्थानीय लोग आगे आए और अपनी जान जोखिम में डालकर उनकी जान बचाई। इन लोगों की बहादुरी और एकजुटता से सीएम अरविंद केजरीवाल काफी प्रभावित हैं और आज दिल्ली सचिवालय में बुलाकर उनसे मुलाकात की है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने करीब 20-25 लोग आए थे। सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक-एक व्यक्ति से उनका हाल पूछा और हादसे के दौरान उनके द्वारा किए गए कार्यों को विस्तार से जाना। सभी ने बताया कि कैसे उन्होंने हादसे के दौरान अपनी जान की परवाह किए बगैर इमारत में फंसे लोगों को बाहर निकालने में मदद की और उनकी जान बचाई। किसी ने एंबुलेंस को फोन किया, किसी ने फायर विभाग को फोन किया, तो किसी ने बिजली विभाग को फोन किया। किस तरह उन्होंने लोगों को खिड़कियों के जरिए नीचे उतारने के लिए शीशे तोड़े और रस्सी के सहारे उनको नीचे उतारा।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मिलने आए लोगों से हादसे का आंखों देखा हाल सुन भावुक हो गए। उन्होंने इस बहादुरी और एकजुटता के लिए सभी की जमकर सराहना की और उनका मनोबल बढ़ाया। साथ ही, सीएम ने दिल से उनका शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि इसी तरह दिल्ली एक-दूसरे का सुख-दुख में साथ देती है। हम सब लोगों को एकजुट होकर हमेशा एक-दूसरे की मदद करते रहना है और साथ मिलकर काम करना है।
इस तरह इन्होंने फरिश्ते बन इमारत में फंसे लोगों की बचाई जान
मुण्डका हादसे में कई लोगों ने अपनी सूझबूझ और बहादुरी का परिचय देते हुए इमारत में फंसे दर्जनों लोगों की जान बचाई। जब इमारत में आग लगी थी, उसी वक्त दयानंद तिवारी नामक व्यक्ति क्रेन लेकर जा रहे थे। जैसे ही उन्होंने देखा कि इमारत में भीषण आग लगी है, तो उन्होंने लोगों की मदद करने की सोची। वहां बहुत भीड़ लगी थी, जिसकी वजह से पूरा रोड जाम था। उन्होंने क्रेन के मालिक विजय को फोन किया और उनसे पूछा कि क्या मैं क्रेन से लोगों की मदद कर सकता हूं? इस पर विजय ने कहा कि मशीन बेशक टूट जाए, लेकिन लोगों की जान बचाओ। दयानंद तिवारी ने कुछ युवकों से मदद करने के लिए कहा और क्रेन से ही फुटपाथ को तोड़ा। आगे हाईटेंशन तार थी, उससे क्रेन को बचाते हुए इमारत के पास पहुंचे और क्रेन से शीशा तोड़कर लोगों को नीचे उतारना शुरू किया।
38 वर्षीय बबलू की वहीं पर कबाड़ की दुकान है। उन्होंने अपनी दुकान से गद्दे निकालकर वहां बिछाए, ताकि उपर से नीचे कूदने वाले लोगों को चोट न आए। 45 वर्षीय ट्रांसपोर्टर सुरेंद्र ने रस्सी की मदद से कई लोगों को नीचे उतारा। किसान विजय मान ने दमकल कर्मियों के पहुंचने से पहले ही गांव वालों के साथ मिलकर रस्सी की मदद से लोगों को नीचे उतारना शुरू कर दिया और घायलों को अस्पताल भी पहुंचाया। इसी तरह, एमसीडी में काम करने वाले 37 वर्षीय संजीव ने रस्सी और सीढ़ियों की मदद से लोगों को नीचे उतारा। इस दौरान गद्दे और रस्सियां कम पड़ रही थीं, तो समाजिक कार्यकर्ता विकास और परचून की दुकान चलाने वाले प्रदीप ने आसपास के लोगों से माग कर उसका इंतजाम किया। 35 वर्षीय अनिल ने भी गद्दे और रस्सियों का इंतजाम कर मदद की। कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले दीपक यादव पास स्थित अपने गांव से रस्सी व गद्दे लाकर दिए। इस तरह, किसी ने एंबुलेंस को कॉल किया, कोई अपनी गाड़ी निकाल कर लाया और इमारत में फंसे लोगों की मदद की।