शराब नीति पर दिल्ली बीजेपी का प्रदर्शन क्यों बना फ्लॉप शो ? इलेक्ट्रॉनिक टीवी मीडिया के पत्रकार हुए निराश !
सरकार की नीतियों के खिलाफ किये जाने वाले किसी भी प्रदर्शन के असर का पैमाना कार्यकर्ताओं का जोश और उसमें जुटने वाले प्रदर्शकारियों की संख्या बल पर
निर्भर करता है। अगर प्रदर्शन में जुटे कार्यकर्ताओं की भीड़ कम हो और कार्यकर्ताओं में जोश न दिखाई दे तो फिर ऐसे प्रदर्शनों पर जहां प्रश्नचिन्ह लग जाता है,वहीं पार्टी के नेतृत्व क्षमता भी सवालों के घेरे में दिखाई देने लगती है। जिस जनमानस को प्रभावित करने के उद्देश्य से प्रदर्शन किया जाता है उसपर भी इसका असर नकारात्मक ही पड़ता है। शराब घोटाले को लेकर दिल्ली बीजेपी के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और दिल्ली के अन्य मंत्रियों के घर के बाहर शुक्रवार को किये प्रदर्शन की ही बात करें तो इसने टीवी मीडिया को बुरी तरह से निराश किया । दिल्ली भाजपा का यह प्रदर्शन पूरी तरह से फ्लॉप शो साबित होकर रह गया।
दिल्ली भाजपा प्रदर्शन में नहीं जुटा पाई भीड़
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर के बाहर होने वाले विरोध प्रदर्शन में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर होने वाले विरोध प्रदर्शन में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी और प्रदेश महामंत्री दिनेश प्रताप सिंह, गोपाल राय और राजेन्द्रपाल गौतम के घर के बाहर होने वाले विरोध प्रदर्शन प्रदेश महामंत्री कुलजीत सिंह चहल और विधायक जीतेंद्र महाजन, राजनिवास मार्ग स्थित सत्येंद्र जैन,इमरान हुसैन के घर के बाहर होने वाले विरोध प्रदर्शन में भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट,अनिल बाजपेयी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव बब्बर और कैलाश गहलोत के घर के बाहर होने वाले विरोध प्रदर्शन में भाजपा विधायक विजेन्द्र गुप्ता, ओम प्रकाश शर्मा और प्रदेश महामंत्री हर्ष मल्होत्रा शामिल हुए। शराब नीति के खिलाफ एक साथ दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों के घरों के बाहर प्रदर्शन में कार्यकर्ताओं को जुटाने में दिल्ली भाजपा पूरी तरह नाकाम साबित हुई।
इलेक्ट्रॉनिक टीवी मीडिया पत्रकार दिखे निराश
जनता तक आवाज़ पहुंचाने,उसे जगाने सरकार को हिलाने का माध्यम मीडिया है। अखबार से इतर टी.आर.पी के रेस में दौड़ते टीवी मीडिया के लिए दृश्यों (विजुअल्स ) की बड़ी अहमियत होती है। अगर टीवी पत्रकार छायाकार (कैमरामैन) को विसुअल्स न मिले तो फिर उसके लिए उस खबर का कोई मायना नही है। अब किसी घटना यां प्रदर्शन स्थल पर खड़े होकर रिपोर्टर और एंकर से ज्यादा तस्वीरे बोलती हैं। दर्शकों के कान एक बार रिपोर्टर और एंकर की बात को तो अनसुना कर सकते हैं लेकिन उनकी आंखें एक एक दृश्य पर टकटकी लगाए टिकी रहती है। यही वजह है कि एक टीवी वीडियो जॉर्नलिस्ट हर एक विसुअल को अपने कैमरे में कैद करने के लिए अपनी जान लगा देता है। इन विसुअल्स के लिए कभी-कभी टीवी मीडिया के कैमरामैन अपने रोज़ मिलने वाले दूसरे कैमरामैन से सिर्फ इसलिए भिड़ जाते हैं कि उन्हें ठीक फ्रेम नही मिल रहा। एक रिपोर्टर और एंकर भी जब विसुअल्स को अपनी रिपोर्ट में शब्दो को मूर्त रूप देता है तो उन तस्वीरों की अहमियत वो भली भांति जनता है,क्योंकि तस्वीरें उसकी वाणी को ताकत देती है । आपने अक्सर टीवी रिपोर्टरों को भी भाग भाग कर न्यूज़ कवरेज़ के दौरान हांफते हुए सुना होगा। आज प्रदर्शन कवर करने के लिए जुटी रिपोर्टर और कैमरामैन की भारी भीड़ के हाथ निराशा लगी । मीडिया को उम्मीद नही थी कि दिल्ली भाजपा का विभिन्न स्थानों पर एक साथ आयोजित प्रदर्शन इतने फीके रहेंगे।
कार्यकर्ताओं से दहन करने वाला पुतला छीन ले गए पुलिसकर्मी
दिल्ली भाजपा के प्रदर्शन में हद तो तब हो गई जब कार्यकर्ता मनीष सिसोदिया का रावण रूपी पुतला दहन भी न कर सके। पुतला दहन करने से पहले ही भाजपा कार्यकर्ताओं से दिल्ली पुलिसकर्मी पुतला
छीन ले गई और मुठ्ठीभर कार्यकर्ता मुंह ताकते रह गए। अब सोचिए बेचारे बीजेपी कार्यकर्ता पुतले को फूंक न भी न पाएं और पुलिसकर्मी पुतला ले उड़े।
दिल्ली भाजपा प्रदेश मुखिया के प्रदर्शन में कार्यकर्ताओं से ज़्यादा जुटे मीडियाकर्मी
मनीष सिसोदिया के घर के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में मुट्ठी भर कार्यकर्ता भी नहीं जुट पाए । इस प्रदर्शन में कार्यकर्ताओं से ज्यादा तो रिपोर्टर और कैमरामैन दिखाई दे रहे थे । अब पार्टी के कुछ पदाधिकारी इसके लिए उमस भरी गर्मी के मौसम को जिम्मेदार ठहराते नज़र आये तो कुछ ने तर्क दिया कि एक साथ कई जगह प्रदर्शन की वजह से नही जुट पाई भीड़ । कुछेक पदाधिकारियों ने तो नाक बचाने के लिए यहां तक कह दिया कि आज प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन था
ऐसे प्रदर्शनो से बीजेपी सरीखी बड़ी पार्टी की साख पर सवाल
दिल्ली बीजेपी के रणनीतिकारों को ऐसे प्रदर्शनो से जनता में जाने वाले सन्देश को मध्यनजर रखकर ही प्रदर्शन की रणनीति बनानी चाहिए। इस बात ने कोई शक नही कि बीजेपी के पास बड़ा कैडर है। कार्यकर्ताओं की बडी फौज है। पार्टी में विभिन्न मोर्चे और प्रोकोष्ठ हैं। संगठनात्मक रूप से पार्टी देश की किसी भी दूसरी पार्टी की तुलना में आज की तारीख में बेजोड़ है। ऐसे में भाजपा के प्रदर्शन फ्लॉप शो बनकर रह जाएं तो सवाल उठेंगे ही । यह सवाल जनता में जो असर छोड़े लेकिन जिस AAP पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन करने भाजपा उतरी है उसे यह कहने का मौका ज़रूर मिल जाएगा कि भाजपा के विरोध प्रदर्शन को जनता का सनर्थन तो दूर अपने कार्यकर्ताओं का साथ भी नही मिल पा रहा।