जानिए महा शिवरात्रि पर्व का महत्व और क्यों कहा जाता है इसे महाशिवरात्रि ?
इतनी रोचक बात है कि हमारे पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) में हर माह एक शिवरात्रि आती है जो कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यानी हर अमावस से एक रात पहले आती है।यह माना जाता है कि चंद्रमा के घटते बढ़ते आकार से पृथ्वी, जल, मानव, पशु पक्षी और पेड़ पौधों पर असर होता है । इसके वैज्ञानिक प्रमाण भी है ।पूर्ण चंद्रमा मनुष्य के मन को शांत और निर्मल करता है वैसे ही चंद्रमा की घटी आकृति के प्रभाव से मानव मन और मस्तिष्क में तामसिक शक्तियों और अवगुणों का प्रभाव बढ़ सकता है।
यह भी माना जाता है कि अमावस तक चंद्रमा अपनी सबसे क्षीण अवस्था में होता है और उसकी शक्तियाँ और उसका प्रभाव भी अक्षम हो जाता है।
साथ ही शिवजी के शीश पर चंद्रमा विराजमान हैं अर्थात चंद्रमा की सकारात्मक शक्तियां उनके साथ सदा हैं।इसलिए भगवान शंकर की पूजा से चंद्रमा की शक्तियों के नकारात्मक प्रभाव से पार पाया जा सकता है ।इस लिए कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात को शिव अर्चना करना सबके लिए अच्छा माना गया है और इसी रात्रि को शिवरात्रि भी कहते हैं। साथ ही यह भी माना गया है कि फागुन मास की शिवरात्रि भगवान शंकर और पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए इसे “महाशिवरात्रि” कहा जाता है ।इस उपलक्ष्य पर रात भर आयोजन चलते हैं, शिव बारात निकाली जाती हैं, पूजा , अर्चना , भजन, जागरण आदि ।जिसमें शिवलिंग को अनन्य प्रकार से सजाया जाता है और शिव जी को प्रसन्न करने वाले – बेल पत्र, जल की धारा, दूध, दही, शहद, धतूरा, भस्म आदि अर्पण किये जाते हैं । ये सब इस बात का प्रतीक है कि हम नकारात्मक विचार जैसे भय, घृणा, लोभ, ईर्ष्या आदि से छुटकारा पाकर प्रेम, स्नेह,निर्भयता जैसे सकारात्मक गुणों को पाने की प्रार्थना करते हैं।
आध्यात्मिक रूप से एक मान्यता यह भी है कि इस पर्व पर नक्षत्रों और ग्रहों की व्यवस्था के कारण मनुष्यों की भीतर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाती है यानि यह ऐसा दिन है जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। इस समय का उपयोग करने के लिए ऐसे उत्सव मनाए जाते हैं जो पूरी रात चलते हैं और यह ध्यान रखा जाता है कि ऊर्जाओं के प्राकृतिक प्रवाह को उभरने का पूरा अवसर मिले और जिसके लिए मनुष्य अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए निरंतर बैठ कर जागते हैं और शिव अर्चना करते हैं।तो आइए ऐसे ही अपने सत्य सनातन विचारों को और पास से जानें, समझें और अपनाएँ।
एक बार पुनः सभी को ‘महाशिवरात्रि’ के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
लेखिका-ममता नागपाल,पूर्व निगम पार्षदा व शिक्षा समिति की पूर्व अध्यक्षा