जानिए क्यों कम हो रहे हैं वास्तुकला में आवेदन करने वाले छात्र ?
नई दिल्ली, 6 जून। देश में वास्तुकला के प्रति छात्रों की घटती दिलचस्पी को लेकर सुशांत यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर, गुरुग्राम ने काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर, भारत के साथ और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स (नॉर्दर्न चैप्टर) के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय सेमिनार किया।
इस सेमिनार में वास्तुकला परिषद (वास्तुकला परिषद (सीओए) के अध्यक्ष प्रो अभय विनायक पुरोहित ने कहा कि
पिछले कुछ सालों में ऐसे 50 प्रोजेक्ट बताएं जोकि भारतीय वास्तुशास्त्रियों ने बनाएं हों और जिन्हें दुनिया में दिखाया जा सके। हम वास्तुशास्त्रियों को जो करना चाहिए था, वो हम नहीं कर रहे, इसलिए वास्तुशास्त्र के प्रति छात्रों की दिलचस्पी घट रही है। वास्तुशास्त्रियों को ना तो अपनी क्वालिटी के साथ समझौता करना चाहिए और ना ही अपनी फीस के साथ
दरअसल इस साल वास्तुकला के संस्थानों में एडमिशन लेने के लिए मात्र 12 हज़ार छात्रों ने ही आवेदन किया था। जोकि बहुत ही कम है। इसको लेकर भी विभिन्न संस्थानों से आए लोगों ने भी इसपर चिंता जाहिर की।
इस कार्यक्रम में जेएस मिश्रा,आईएएस ( सेवानिवृत्त ) चांसलर – सुशांत विश्वविद्यालय, प्रो. ( डॉ. ) आलोक प्रकाश मित्तल, पूर्व सदस्य सचिव, एआईसीटीई और निदेशक, नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एनएसयूटी), कुलपति प्रो राकेश रंजन, शीतल अंसल समेत आर्किटेक्चर संस्थानों के प्रमुखों, पूर्व छात्रों और पीएचडी विद्वानों सहित 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
नई शिक्षा नीति 2020 के बाद भारत में वास्तुकला शिक्षा में सुधार करने और आधुनिक समाज में वास्तुकारों की जरुरतों और महत्व बनाने के तरीकों का प्रस्ताव करने के लिए एक श्वेत पत्र जारी करने पर सहमति जताई गई।