दिल्ली नगर निगम की बैठक में हंगामा: विपक्षी पार्षदों का निलंबन और बिना चर्चा के एजेंडा पास”
संदीप शर्मा
दिल्ली नगर निगम की साधारण सभा की बैठक में आज जमकर हंगामा हुआ। बैठक शुरू होने से पहले ही भाजपा के निगम पार्षदों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया । विपक्षी पार्षदों ने आम आदमी पार्टी (AAP) को दलित विरोधी बताते हुए कहा कि निगम के तीसरा कार्यकाल में किसी दलित को महापौर बनाया जाता है लेकिन AAP जान बुझकर कानून व नियम की अवेहलना कर रही है । इससे AAP का दलित विरोधी रवैये उजागर होता है ।
बैठक दोपहर 2 बजे शुरू होनी थी, लेकिन मेयर शैली ओबरॉय के एक घंटे देर से, यानी 3 बजे पहुंचने पर विपक्षी पार्षदों ने उनकी लेटलतीफी को तानाशाही रवैया करार दिया। इसके बाद, सदन की कार्यवाही में और अधिक तनाव आ गया।
परंपरा के अनुसार, हाउस मीटिंग शुरू होने से पहले शोक प्रस्ताव पढ़ा जाना था, लेकिन विपक्षी पार्षदों ने लगातार नारेबाजी करते रहे । इसके बावजूद, नेता सदन मुकेश गोयल ने हंगामे के बीच ही शोक प्रस्ताव पढ़ा और कार्यवाही आगे बढ़ाई।
मेयर शैली ओबरॉय ने भी इस तरह हंगामा किये जाने और उनके खिलाफ की जाने वाली नारेबाज़ी करने के चलते बीजेपी को महिला विरोधी पार्टी करार दिया
बैठक को दो बार स्थगित किया गया, लेकिन अंत में हंगामे के बीच ही बिना चर्चा के एजेंडा पास कर दिया गया। इस घटनाक्रम से नगर निगम की कार्यवाही पर सवाल खड़े हो गए हैं और दोनों दलों के बीच तनाव अपने चरम पर दिखाई दिया ।
हंगामे के चलते मेयर ओबरॉय ने चार विपक्षी निगम पार्षदों—अमित नागपाल, गजेंद्र दराल, रविंद्र नेगी, और पंकज लूथरा—को 15 दिनों के लिए सदन से निलंबित कर दिया। हालांकि, सदन में घोषणा की गई कि इन पार्षदों को तीन बैठक के लिए निलंबित किया जाएगा। इस निलंबन पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। नेता विपक्ष राजा इकबाल सिंह ने मेयर शैली ओबरॉय पर निशाना साधते हुए कहा कि मेयर को DMC एक्ट की जानकारी ही नहीं है और उन्हें “अनपढ़” तक कह दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि एक्ट के मुताबिक, किसी भी पार्षद को निलंबन से पहले तीन बार चेतावनी का नोटिस दिया जाना चाहिए, जो कि इस मामले में नही किया गया।