जानिए AAP नेता संजय सिंह ने निर्मला सीतारमन को क्यों कहा-रक्षा मंत्री मूर्ख हैं या फिर धूर्त
न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM NEWS) मंगलवार को पार्टी कार्यकाल में हुई प्रेस वार्ता में AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने राफेल मुद्दे पर केन्द्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला किया। संजय सिंह ने कहा कि शुरुआत में ही मैंने कहा था की राफेल के सौदे में रिश्वत खाई गई है,हर जहाज पर लगभग 1 हज़ार करोड़ की दलाली खाई गई है, और अब जब फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांदे के बयान के बाद ये बात साबित हो चुकी है की राफेल की खरीद में भ्रष्टाचार हुआ है।
संजय ने कहा कि मैने कहा की मैंने सरकार से दो सवाल पूछे थे, पहला ये कि 540 करोड़ का राफेल जहाज आप 1670 करोड़ में क्यों खरीद रहे हैं, और दूसरा ये कि 30 साल का अनुभव रखने वाली, और इस देश को 21 अलग-अलग तरह के लड़ाकू विमान देने वाली, सरकार के नो रत्नों में गिनी जाने वाली कंपनी एचएएल को ठेका न देकर 12 दिन पुरानी अनुभवहीन कंपनी को राफेल की खरीद का ठेका क्यों दिया गया?
सरकार की तरफ से तो मुझे कोई जवाब नहीं मिला बल्कि सरकार के लाडले अम्बानी जी ने शायद इस देश का अब तक का सबसे बड़ा मानहानि का केस 5 हज़ार करोड़ का नोटिस मुझे भेज दिया गया।
संजय सिंह ने कहा कि मैंने सीबीआई, CAG और CVC को चिट्ठी लिखकर राफेल की खरीद में हुए घोटाले की जांच करने की मांग की। सीबीआई और CAG की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। CAG मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए, उसे डिफेन्स मंत्रालय को भेजा। 18 नवम्बर 2016 को लोकसभा में भी लगभग 14 सांसदों ने ये सवाल पूछा की मंत्री जी बताएं कि ये राफेल की खरीद में घोटाले की बात जो बार बार उठ रही है, उसकी सच्चाई क्या है? इसके जवाब में मंत्री सुभाष भामरे ने जवाब दिया कि राफेल जहाज की कीमत सभी सर्विसिस, इक्यूपमेंट और वेपन्स के साथ 670 करोड़ की है और जब मैंने 19 मार्च को यही सवाल राज्यसभा में उठाया तो इन्ही मंत्री सुभाष भामरे ने कहा कि एक राफेल की कीमत 670 करोड़ लेकिन बिना किसी सर्विसिस, इक्यूपमेंट और हथियार के। मंत्री सुभाष भामरे के बयान में ये अंतर क्यों? या तो मंत्री सुभाष भामरे लोकसभा में झूठ बोल रहे थे, या फिर राज्यसभा में।
संजय सिंह ने कहा कि
मैंने सेक्रेटरी जनरल को भी चिट्ठी लिखी, जिसका बड़ा ही हास्यास्पद जवाब मुझे दिया गया। भाजपा सरकार और डिफेन्स चिल्ला चिल्ला कर बोलते हैं कि ये एक ख़ुफ़िया डील है इसके बारे में हम कुछ नहीं बता सकते। यहाँ पर भाजपा सरकार का एक और झूठ पकड़ा जाता है। अगर ये ख़ुफ़िया डील है तो राज्यसभा और लोकसभा में मंत्री सुभाष भामरे ने कैसे पूरे देश के सामने इन विमानों कीमत बताई थी। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ये रिलायंस कौन है, कंपनियों ने आपस मे क्या सौदा किया है, सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। रक्षामंत्री का ये बयान बड़ा ही हास्यास्पद है। संजय सिंह ने कहा कि या तो रक्षा मंत्री मूर्ख हैं या धूर्त हैं। या तो रक्षामंत्री को मोदी जी ने कहा है ये धूर्तता करने के लिए या फिर वो हिन्दुस्तान की जनता को गुमराह करने के लिए ये नकली दलील पेश कर रही हैं।
25 मार्च 2015 को फ्रासं की कंपनी के सीईओ का एक विडिओ का हवाला देते हुए संजय सिंह ने कहा कि इस विडिओ में फ़्रांस की कंपनी के सीईओ साफ़ साफ़ कहते दिख रहे हैं कि सब कुछ फाइनल हो गया है, अब बस दोनों कंपनियों के बीच हुए करार पर दस्तखत होने जा रहे हैं। लेकिन अचानक से 10 अप्रेल को अचानक से ये ठेका 78 साल पुरानी कंपनी से छीनकर अनिल अम्बानी की 12 दिन पुरानी कंपनी को दे दिया जाता है। तो क्यों नहीं माना जाए की भाजपा ने राफेल के सौदे में दलाली खाई है।