MCD स्कूल में पढ़ने वाले गरीब मां बाप के बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर रही AAP !

संदीप शर्मा

दिल्ली नगर निगम की सत्ता में काबिज होने के तकरीबन एक साल बाद आम आदमी पार्टी की कार्यशैली की पोल खुलने लगी है । निगम की व्यवस्था को चुस्त दरुस्त करने के दावों का दम साल भर में ही निकलता दिखाई दे रहा है । खूब प्रचार किया गया “अब MCD में भी केजरीवाल” अब इस खोखले प्रचार की हवा निकल रही है । बच्चों को विश्व स्तरीय शिक्षा मुहैया करवाने वाले केजरीवाल मॉडल का देश भर में आम आदमी पार्टी ढिंढोरा पीटती दिखाई देती है । विज्ञापनों में बेची जाने वाले झूठ के इतर AAP सरकार के राज में लाखों गरीब मां बाप के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया रहा है ।

निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को उनकी किताबों,कॉपियों  वर्दी व मिड डे मील का पैसा नही दिया जा रहा है । शिक्षा के अधिकार कानून के तहत बच्चों को दिया जाने वाला यह फंड ट्रांसफर नही किया जा रहा है । इसकी वजह यह है कि निगम सरकार बच्चों का बैंक खाता खुलवाने में नाकाम साबित हुई है । शिक्षा के सत्र 2022-23 के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि MCD के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की कुल संख्या 7 लाख 86 हज़ार 205 है जबकि बैंक खाता महज़ 4 लाख 3 हज़ार बच्चों का ही खाता है  । इसका मायना यह है कि मात्र 48 प्रतिशत बच्चों तक ही दिल्ली सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल रहा है । जबकि एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि स्कूल में दाखिल 6 लाख अधिकांश बच्चों के आधार कार्ड हैं । इसके बावजूद विभाग का निकम्मापन देखिए कि बच्चों को उनके मूलभूत शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जा रहा है ।
निगम स्कूलों में बच्चों को मिलने वाला पैसा केवल बैंक अकाउंट ना खुलने के कारण वापिस चला जाता है। बच्चे के माता पिता द्वारा बच्चे का बैंक अकाउंट ना खुलवाना इसमें बच्चे का क्या दोष है । 
अब सवाल उठता है कि बच्चों को मिलने वाला यह  पैसा कहां गया ? इस पैसे का क्या हुआ ? गरीब बच्चों को यह पैसा क्यों नहीं दिया गया ? अगर बैंक अकाउंट नहीं है तो क्या बच्चों को वर्दी, कॉपी, जूते, बैग का पैसा नहीं मिलेगा ?  पिछले सत्र का बचा हुआ पैसा कहां है किसके पास है उसकी जांच होनी चाहिए?

ऑडिट रिपोर्ट में साफ साफ शिक्षा निदेशक, शिक्षा मंत्री व महापौर की अक्षमता और अकर्मण्यता की झलक दिखाई देती है  जिसके चलते लाखों बच्चे सरकारी सुविधा से वंचित रह गए । यह है विज्ञापन में दिखाई देने वाले शिक्षा मॉडल व  निगम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की ज़मीनी हकीकत की तस्वीर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *