संसद के मौजूदा सत्र में इसी हफ्ते MCD के एकीकरण पर आ सकता है बिल, चर्चाओं का दौर तेज़
संदीप शर्मा
न्यूज़ नॉलेज मास्टर, NKM NEWS,दिल्ली नगर निगम चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है पिछले सप्ताह चुनाव आयोग ने एमसीडी दिल्ली नगर निगम के चुनावों को लेकर पिछले सप्ताह राज्य चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार की ओर से मिले निर्देशों के बाद चुनाव की तारीखों की घोषणा को यह कहते हुए टाल दिया था कि केंद्र निगम निकायों के एकीकरण पर विचार कर रहा है इसलिए फिलहाल चुनाव की तारीखों की घोषणा नही करने जा रहा। । पंजाब विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बाद MCD पर नज़र गढ़ाए बैठी आम आदमी पार्टी की उम्मीदों पर केंद्र सरकार ने पानी फेर दिया है। आम आदमी पार्टी के नेता अब यह संदेश देते घूम रहें हैं कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव के डर से भाग गई है।
MCD को लेकर केंद्र सरकार की क्या है रणनीति ?
MCD को लेकर केंद्र सरकार क्या करने जा रही है इसे लेकर कयासबाजियों और अटकलबाजियों से खबरिया बाज़ार में चर्चाओं का दौर तेज़ है। कई खबरें सियासी फ़िज़ाओं में तैरती नज़र आ रही है। BJP का शीर्ष नेतृत्व दिल्ली नेतृत्व से बातचीत के आधार पर निगम पर मंथन करने पर जुटा हुआ है। इसको लेकर दिल्ली के सांसदों, बीजेपी विधायको और निगम नेतृत्व से फीड बैक लेकर कुछ ठोस निर्णय लेने की तैयारी में केंद्र सरकार जुटी हुई है। माना जा रहा है कि इसी हफ्ते में संसद के चल रहे मौजूदा सत्र में सरकार MCD पर बिल ला सकती है। लिहाज़ा निगमो के एकीकरण के मुद्दे पर सियासी गलियारों में कई चर्चाएं चल रहीं हैं।
NDMC की तर्ज़ पर MCD का हो सकता है गठन !
एक चर्चा चल रही है कि केंद्र सरकार तीनों नगर निगम निकायों का गठन एनडीएमसी की तर्ज पर कर सकता है । NDMC पर सीधा केंद्र सरकार का नियंत्रण रहेगा और दिल्ली सरकार पर नगर निगम की निर्भरता खत्म हो जायेगी। मौजूदा समय में दिल्ली नगर निगम वित्तीय व्यवस्था के लिए संवैधानिक तौर पर दिल्ली सरकार पर निर्भर है। केंद्र सरकार दिल्ली नगर निगम को कोई भी वित्तीय सहायता राज्य सरकार के माध्यम से ही दे सकती है। ऐसे में अगर NDMC की तर्ज़ पर अगर निगम निकायों का गठन होता है तो MCD सीधा केंद्र सरकार के नियंत्रण में चली जायेगी और वित्तिय व्यवस्था के लिए उसे राज्य सरकार का चेहरा नही ताकना पड़ेगा । आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार और भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम निकाय में टकराव जगजाहिर है। भारतीय जनता पार्टी अक्सर दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर फंड को लेकर परेशान करने का आरोप लगाते हुए दिखाई देती है । वही फंड की कमी के चलते आए दिन दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी वेतन के लिए हड़ताल करते दिखाई देते हैं। वहीं पेंशनभोगियों को समय से पेंशन भी नही मिल पाती। यही नहीं दिल्ली नगर निगम दिखाया द्वारा किए जाने वाले विकास कार्य भी प्रभावित रहते हैं। केंद्र सरकार द्वारा NDMC की भांति MCD भी गृहमंत्रालय के अधीन आ जाएगी। माना जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा की एक सीट पर चार सदस्यों को नामांकित किया जाएगा । मौजूदा समय में दिल्ली विधानसभा की 70 सीटें हैं और दिल्ली के तीनों निगमों में 272 निगम पार्षद चुने जाते हैं अगर हर सीट पर 4 सदस्यों को नामांकित किया जाता है तो 70 सीटों पर पूरी दिल्ली में 280 सदस्यों को नामांकित किया जाएगा।
दिल्ली के तीनों निगमो को पहले की भांति एक निगम बना दिया जाए
दिल्ली के तीनों नगर निगम निकायों को मिलाकर एक निगम बना दिया जाए। मौजूदा समय में दिल्ली में तीन निगम हैं। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 104 और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में भी 104 वार्ड हैं जबकि पूर्वी निगम में 64 वार्ड हैं। तीनो निगमों में कुल मिलाकर 272 वार्ड हैं। साल 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिल्ली नगर निगम को 3 हिस्सों में विभक्त कर दिया था,इससे पहले दिल्ली नगर निगम एक हुआ करता था । तब दिल्ली का एक मेयर एक स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन और एक निगमायुक्त हुआ करता था । MCD के विभाजन के बाद दिल्ली में तीन मेयर तीन स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन,तीन शिक्षा समितियां हैं और कई कमेटियां हैं। तीन निगमों केअलग अलग कमिश्नर,विभिन्न समितियों के चलते उस पर प्रशासनिक खर्चों में भी बढ़ोतरी हुई है। तीनो निगमो के मुख्यालय भी अलग अलग है। हालांकि उत्तर और दक्षिण नगर निगम का मुख्यालय श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर में है। वहीं तीनो निगमो के अंतर्गत 12 ज़ोन है। हर ज़ोन कार्यलय में भी बड़ी संख्या में अधिकारियों का अमला काम करता है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 6 जबकि दक्षिण दिल्ली नगर निगन में 4 और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 2 ज़ोन हैं। दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों की भी मांग है कि दिल्ली नगर निगम को पहले की भांति एक कर दिया जाए जिससे खर्चों पर लगाम लगेगी गौरतलब है कि दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी भी इस संबंध में कई बार मांग उठा चुके हैं। कनफेडरेशन ऑफ एमसीडी एंप्लाइज यूनियन के कन्वीनर ए.पी खान इस संबंध में कई बार मांग कर चुके हैं । वहीं उत्तरी दिल्ली नगर निगम की हाल ही में हुई स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में भी दिल्ली के तीनों निगमों को एक कर देने के मुद्दे पर सत्ता पक्ष के कुछ निगम पार्षदों ने भी यह आवाज उठाई। वही उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सूचना एवं प्रेस विभाग से सेवानिवृत्त निदेशक योगेंद्र सिंह मान कहते हैं कि निगमों के एकीकरण से नौकरशाही पर होने वाले खर्च में 200 करोड़ रुपए सलाना की बचत होगी।
मेयर पद को अधिक शक्तिशाली बनाने और कार्यकाल बढ़ाए जाने के पर चर्चा
वहीं अब यह चर्चा भी सुनाई दे रही है की महापौर के पद को पहले से अधिक शक्तिशाली बनाया जाए उसके साथ ही उसका कार्यकाल बढ़ाया जाए मौजूदा समय में मेयर का कार्यकाल 1 साल का होता है किसी भी नए महापौर को ऑफिस को समझने में ही 4 से 6 महीने का वक्त निकल जाता है और जब तक मेयर कुछ समझ पाता है तब तक उसका कार्यकाल पूरा हो जाता है । ऐसे में एक विचार यह भी है कि मेयर का कार्यकाल एक साल से बढ़ा कर ढाई साल या फिर 5 साल कर देना चाहिए। इसके साथ ही मेयर के पास अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार भी होना चाहिए।
ज़मीनी हालात BJP के मुफीद नही है। लिहाज़ा कुछ वक्त तक चुनावों को टाला जाए
चर्चा है कि बीजेपी की ज़मीनी स्थिति अच्छी नही है। अगर अभी चुनावी मैदान में बीजेपी उतरती है तो हार तय है। दिल्ली विधानसभा की भांति बीजेपी और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो सकता है।पंजाब की भांति MCD में भी आप जीत जा झंडा गाड़ सकती है। ऐसे में चुनाव को कुछ समय के लिए टाल कर BJP उपयुक्त समय का इंतजार कर रही है। दिल्ली में गर्मी के बढ़ने के चलते दिल्ली के कई इलाकों में हर साल की तरह पानी की समस्या बढ़ सकती है। वहीं दूसरी तरफ मॉनसून तक चुनाव को टाला जा सकता है। हर साल दिल्ली की सड़कों पर जलभराव के चलते क्या हालत होती है यह किसी से छिपा नही है। दिल्ली की सड़कों की खराब हालत के चलते जलभराव और ट्रैफिक जाम केजरीवाल सरकार का सर दर्द बढ़ा सकता है। बीजेपी इंतज़ार में है कि उपयुक्त समय मे चुनाव की घोषणा की जाए जब AAP सरकार को घेरा जा सके।
बीजेपी और AAP में सियासी आरोप प्रत्यारोप
AAP जहां BJP पर डर की वजह से चुनाव से भागने का आरोप लगा रही है
वहीं BJP इस पर पलटवार कर रही है। BJP नेताओं का का कहना है क्या आम आदमी पार्टी नहीं चाहती है कि दिल्ली नगर निगम स्थिति में सुधार हो केंद्र सरकार सरकार इस तरफ कदम बढ़ा रही है तो फिर आम आदमी पार्टी के नेताओं के पेट में दर्द क्यों हो रहा है ? इसको लेकर दोनों पार्टियों में सियासी बयानबाजी और पोस्टरबाजी भी खूब चल रही है।