दिल्ली के मुख्यमंत्री सिंगापुर मे दिल्ली मॉडल के मदनपुर खादर के विकास की तस्वीरें ज़रूर दिखाएं
संदीप शर्मा,
न्यूज़ नोलेज मास्टर, NKM NEWS,दिल्ली की केजरीवाल सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे करती है लेकिन ये दावे हकीकत से कोसों दूर है । विकास की तस्वीर सिर्फ टीवी, अखबार के विज्ञापनों और सड़क किनारे लगी बड़ी बड़ी होर्डिंग्स पर दिखाई देता है जिसपर करोड़ो रुपए पानी की तरह बहा दिए जाते हैं। देश की राजधानी दिल्ली के मदनपुर खादर की सड़क की तस्वीरें केजरीवाल सरकार के विकास की एक अलग ही कहानी बयान करती है ।
1966 में शहरीकृत हुए गांव मदनपुर खादर की यह बदहाल स्थिति सरकार के दावो की पोल खोलती नज़र आ रही है। इस तस्वीर को देखिये ऐसा नही है कि इस मैन रोड पर अचानक कोई भूस्खलन हो गया है । पिछले छ: महीने से लगातार प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से इसकी शिकायत की गई है लेकिन यहां की बदहाली की कोई सुध लेने वाला नही है । दिल्ली जल बोर्ड ने इस सड़क को खोद कर अपने हाल पर छोड़ दिया है । दिल्ली जल बोर्ड के पास कोई भी स्थायी समाधान नहीं किया है।
दिल्ली के मदनपुर खादर गाँव की मेन मार्केट रोड की इस हालत से त्रस्त लोग व्यवस्था के सामने घुटने टेक चुके है।राजनीतिक दल चुनावी रोटियाँ सेंकने में लगे रहते हैं इन्हें जनता सिर्फ चुनाव में दिखाई देती है । ऐसे में स्थानीय लोगो ने भी कमर कस ली है। चुनाव आने दो नेताओं के साथ पाई पाई का हिसाब चुकता किया जाएगा ।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिंगापुर जाना चाहते हैं दिल्ली के विकास मॉडल को दुनिया को दिखाना चाहते हैं । एक स्थानीय व्यक्ति ने तंज कसते हुए कहा कहा मुख्यमंत्री जी मदनपुर खादर की तस्वीरें भी सिंगापुर में होने वाले वर्ल्ड सिटी सम्मिट में जरूर दिखाई जाएं ।
मदनपुर खादर की ही आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधि सतीश चौहान कहते हैं
दिल्ली जल बोर्ड ने सड़क को इतना खस्ताहाल कर दिया है कि पैदल चलना भी मुश्किल है। आये दिन लोग यहां दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। स्थानीय लोग अपने खर्चे पर सड़क पर मलबा डलवा देते हैं लेकिन कुछ दिन बाद सड़क का फिर वही हाल हो जाता है। जो काम सरकार को करने चाहिए वे स्थानीय लोग अपनी जेबों से कर रहे हैं तो फिर सरकार टैक्स किस बात का वसूल रही है।
मदनपुर खादर की ये तस्वीरें देखकर लगता है कि सरकारों के दावे कितने खोखले हैं। जनप्रतिनिधियों के जनता की याद सिर्फ चुनावों में ही क्यों आती है । जो एक बार चुना जाता है वह 5 साल तक इलाके में नजर नहीं आता है