दिल्ली नगर निगम के मस्टरोल कर्मचारियों की नियमितीकरण की मांग: 17 वर्षों की सेवा के बाद भी धूल फांक रही फाइलें

दिल्ली नगर निगम के मस्टरोल कर्मचारियों के नियमितीकरण का मामला एक बार फिर चर्चा में है। इंजीनियरिंग विभाग द्वारा लंबे समय से फाइलें दबाए रखने और कानूनी बहाने बनाकर कार्रवाई में देरी करने के आरोप लगे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे पिछले 17 वर्षों से नियमित रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन नियमितीकरण की प्रक्रिया अब तक अधूरी है।

अभियांत्रिक विभाग, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने आदेश संख्या ASO-IV/Engg./HQ/SDMC/2022/D-1546, दिनांक 23 फरवरी 2022 को जारी किया था, जिसमें दिनांक 11 अप्रैल 2006 से 31 मार्च 2009 तक के मस्टरोल कर्मचारियों को नियमित करने की सिफारिश की गई थी। यह आदेश तत्कालीन विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार द्वारा संयुक्त दिल्ली नगर निगम में तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया गया था।
हालांकि, इस आदेश के बावजूद, इंजीनियरिंग विभाग ने इसे “Uma Devi vs State of Karnataka” केस का हवाला देकर ठंडे बस्ते में डाल दिया। विधि विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि दिल्ली नगर निगम की अपनी चरणबद्ध नियमितीकरण नीति है और उमा देवी मामले का कोई उल्लंघन नहीं है। वहीं गौरतलब है कि निगम के विशेष अधिकारी रहते हुए अश्विनी कुमार ने दिए गए निर्देश से साफ हैं कि वह इस मामले में संवेदनशील हैं जबकि विभाग के अधिकारियों ने जानबूझकर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल कर रखा है।
विधि विभाग की राय और देरी का कारण:
दिनांक 29 अक्टूबर 2021 को उत्तरी दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति की बैठक में विधि विभाग ने स्पष्ट किया कि निगम एक स्वायत्त संस्था है और सदन में निहित शक्तियों के अनुसार अपने निर्णय लेने में सक्षम है। इसके बावजूद, फाइलें ADC/ENGG. (HQ) के पास लंबित हैं
कर्मचारियों की स्थिति:

मस्टरोल कर्मचारियों में से कई अब 50 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। समय पर नियमितीकरण न होने की स्थिति में कई कर्मचारी 60 वर्ष की आयु पूरी कर लेंगे और बिना पक्का हुए सेवानिवृत्त हो जाएंगे। सवाल उठता है कि आखिरकार उम्र के इस पड़ाव में इन कर्मचारियों के साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों किया जा रहा है। जिन्होंने अपनी उम्र का बड़ा हिस्सा निगम को दिया है विभाग उनके प्रति संवेदनशील क्यों नहीं है।

कर्मचारियों की अपील:
कर्मचारियों ने नगर निगम और दिल्ली सरकार से अपील की है कि 19 दिसंबर 2024 की साधारण सभा में इस मुद्दे पर निर्णय लिया जाए और फाइलों को जल्द से जल्द मंजूरी दी जाए।

विशेषज्ञों की राय:
नगर निगम के पूर्व अधिकारियों का कहना है कि यह मामला केवल प्रशासनिक निर्णय का है, जिसे तुरंत हल किया जा सकता है। इसके लिए कोई कानूनी बाधा नहीं है।
यह मामला निगम के मस्टरोल कर्मचारियों के साथ हुए अन्याय को उजागर करता है। वर्षों से सेवाएं दे रहे इन कर्मचारियों को नियमित करना निगम के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का सम्मान होगा। अब देखना यह है कि नगर निगम प्रशासन इस पर कब और क्या कदम उठाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *