MCD की ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया में गड़बड़झाला । शिक्षकों के ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया में कट्टर ईमानदार AAP की सरकार में नियमों की जमकर उड़ी धज्जियां, निगम शिक्षक परेशान

रिपोर्टसंदीप शर्मा

ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया पर दिल्ली नगर निगम( MCD )की सत्ता पर काबिज़ हुई AAP पार्टी पारदर्शिता और ईमानदारी का ढिंढोरा पीटती दिखाई दे रही है लेकिन इस ट्रांसफर नीति में ढेरों कमियां शिक्षकों के लिए सिरदर्द साबित हो रही हैं । निगम शिक्षक अपना नाम न उजागर किए जाने की शर्त पर अपने ट्रांसफर पॉलिसी पर सवाल उठा रहे हैं।

छात्र शिक्षक अनुपात और कम वेकेंसी पोजिशन को आधार बनाकर RTE और नई शिक्षा नीति को धत्ता बताते हुए पहली बार दिल्ली नगर निगम में शिक्षकों के ऑनलाइन ट्रांसफर किए गए हैं।

शिक्षकों मैं ट्रांसफर प्रक्रिया में बरती गई अनियमितताओं से शिक्षकों में रोष व्याप्त है । शिक्षकों की माने तो ट्रांसफर पॉलिसी बनाने वालों ने ही अपनी ही बनाई पॉलिसी के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं ।
दिल्ली नगर निगम की सत्ता में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां काबिज रहीं हैं । लेकिन निगम में जब से आम आदमी पार्टी काबिज हुई है तबसे निगम कर्मियों में डर का माहौल व्याप्त है । उन्हें डर सता रहा है कि अगर व खुलकर नीतियों का विरोध करते हैं तो उन्हें विभागीय कोप का शिकार होना पड़ सकता है। निगम शिक्षकों की ट्रांसफर की जो लिस्ट जारी हुई है उसमें बड़े स्तर पर खामियां नज़र आ रहीं हैं । सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक

1.  36 ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें 0 किलोमीटर के दायरे में ट्रांसफर दे दिया गया है।

2. कुछ महिला शिक्षकों का कहना है जब छात्राओं के स्कूलों में पुरुष शिक्षक का ट्रांसफर न करने पर ट्रांसफर पॉलिसी में बैन लगा हुआ है तो फिर कैसे 500 से ज्यादा पुरुष शिक्षकों के ट्रांसफर बालिका विद्यालय में कर दिए गए है।

3. वहीं गंभीर बीमारी से ग्रसित शिक्षकों को  ट्रांसफर प्रक्रिया में शामिल ना करके विभाग ने मानवता और संवेदनशीलता की कमी दिखाई है जिससे शिक्षकों और उनके परिजनों में भारी रोष है। ब्रेन हेमरेज, किडनी, स्लिप डिस्क, सिंगल मदर, मैरिज, प्रेगनेंट, एक्सीडेंट से टांग हाथ में फ्रैक्चर होने के सबूत देने के बाद भी शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं किए गए। कुछ ग्रेड 4 के शिक्षक कैंसर पीड़ित हैं  जिन्होंने मैन्युअली ट्रांसफर मांगा था उन्हें भी इसमें शामिल नहीं किया गया है। सवाल उठ रहे हैं । ऐसे शिक्षकों को प्राथमिकता क्यों नहीं दी गई।

4. सैकड़ों शिक्षक ऐसे हैं जो 8 महीने पहले ऑनलाइन ट्रांसफर भरने के बाद अब किन्ही पारिवारिक कारणों से अब ट्रांसफर नहीं लेना चाहते हैं ऐसे मे उन्हें जबरन रिलीव किया जा रहा है। शिक्षक चाहते हैं कि उनकी जगह पर वेटिंग मैं बैठे शिक्षकों के स्थानांतरण कर दिया जाए।

5. फाइनल ऑनलाइन ट्रांसफर लिस्ट कर जारी किए जाने के बाद जो कमियां सामने आई है उसमें सबसे बड़ी कमी यह है की जहां एक भी सीट नहीं थी वहां 4 से 11 शिक्षक तक ट्रांसफर भेज दिए गए हैं और जहां 1 सीट थी वहां 5 से 6 शिक्षक भेज दिए गए हैं। अब सवाल यह उठता है कि जब पोर्टल ठीक और प्रक्रिया पारदर्शी है तो यह कैसे संभव हुआ? क्या लिस्ट पर साइन कर उसे फाइनल करने वाले अधिकारियों ने उसे ढंग से चेक नहीं किया? क्या उक्त स्कूल में ट्रांसफर फाइनल करते समय  छात्र शिक्षक अनुपात का ध्यान नहीं रखा गया ऐसे में दिए गए आदेशों से उक्त स्कूल के प्रधानाचार्य के समाने धर्म संकट खड़ा हो गया है की वह बिना छात्रों के कैसे किसी शिक्षक को ज्वाइन करवाए अगर वह ऐसा करता है तो सरकार बिना छात्रों के कैसे सैलरी बनाएगी और ऐसा होने पर सीनियर शिक्षक सरप्लस हो जायेंगे।

6. अनेकों मामले ऐसे भी सामने आया हैं जिसमे शिक्षक का ट्रांसफर लिस्ट में नाम नहीं आया है और शिक्षक ने जिस स्कूल मैं ट्रांसफर मांगा था वहां सीट खाली पड़ी है ऐसे में उक्त शिक्षक को ट्रांसफर क्यों नहीं दिया गया इसकी जिम्मेदारी किसकी है। क्या जो कमेटी बनाई गई है उसने यह ठीक से देखा जांचा था अगर ऐसा किया था तो ये कैसे संभव हुआ।

सबसे बड़ा गड़बड़झाला यह है की पिछले साल वेकेंट सीट 1195 दिखाई गई थी और सरप्लस शिक्षक 1594 तो ट्रांसफर निकालने की जरूरत क्या थी ? जब इनके पास इनके अनुसार 399 शिक्षक एक्स्ट्रा थे तो उन्होंने पिछले साल सितंबर से अब तक क्या खाली बिठाकर सैलरी दी गई है ।

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