आज मेयर चुनाव न हुए तो भंग हो सकती है MCD ! निगम पार्षद हो सकते हैं अयोग्य करार,जानिए क्या है कानूनी आधार ?

दिल्ली नगर निगम का मेयर कौन होगा इसका फैसला आज होने जा रहा है । इसी बीच दिल्ली नगर निगम के सभी निर्वाचित पार्षद की सदस्यता पर खतरता मंडराता नज़र आ रहा है । इन निगम पार्षदों को अयोग्य ठहराए जा सकता हैं,दूसरे शब्दों में कहा जाए तो दिल्ली नगर निगम पर भंग होने का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल हंगामे की वजह से मेयर चुनाव दो बार टल चुका है।

निगम पार्षदों के अयोग्य करार दिए जाने का क्या है आधार

दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 (संशोधित 2022) की धारा 32 में साफ साफ कहा गया है कि प्रत्येक पार्षद धारा 32 की उप धारा (1)के अंतर्गत शपथ लेने अथवा संपुष्टि करने के 30 दिनों के भीतर और प्रत्येक अनुवर्ती वर्ष में उसी मास की अंतिम तिथि से पहले केंद्रीय सरकार द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा निर्धारित प्रपत्र पर अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की समस्त परिसंपत्तियों की एक घोषणा महापौर के समक्ष प्रस्तुत करेगा यह घोषणा निगम के रिकॉर्ड का एक भाग होगी ।
इस उप धारा में यह भी व्यवस्था है कि कोई व्यक्ति पार्षद बना रहने के अयोग्य करार हो जाएगा यदि उप धारा 1 में निम्नलिखित घोषणाएं प्रस्तुत नहीं करता अथवा उप धारा के अंतर्गत ऐसी घोषणा प्रस्तुत करता है जो असत्य है अथवा जानकारी अथवा विश्वास है कि वह गलत है ।
इसी आधार पर निगम सचिव कार्यलय के प्रपत्र के मुताबिक सभी निगम पार्षदों को 5 फरवरी तक अपनी संपत्तियों का ब्यौरा महापौर के समक्ष जमा करवाने के लिए कहा गया है


  अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अभी तक महापौर चुना ही नहीं गया और और  निगम पार्षदों का शपथ भी 24 जनवरी को हुआ है। पिछले महीने 2 बार मेयर चुनाव टल चुका है। 6 जनवरी की AAP और BJP के निगम पार्षदों में जमकर बवाल हुआ जिसके बाद बैठक को स्थगित कर दिया गया । फिर 24 जनवरी को चुनाव होना तय हुआ तब निगम पार्षदों की शपथ तो हो गई लेकिन मेरे को चुनाव फिर भी नहीं हो सका । आज  6 फरवरी की  मुकर्रर की गई तारीख पर अगर मेयर चुनाव नही होता तो फिर निगम भंग हो जाएगा, क्या पार्षदों की सदस्यता समाप्त हो जाएगी ?  यह सवाल अब निगम पार्षदों के दिलों की धड़कन तेज कर सकता है।

ऐसे में यह खतरा मंडरा रहा है कि मौजूदा निगम कहीं कानूनी दांवपेच में फस कर ना रह जाए । कहीं ऐसा ना हो कि दिल्ली नगर निगम को भंग कर दिया जाए। सूत्रों की माने तो भारतीय जनता पार्टी की मंशा भी यही है कि मेयर चुनावों को टाल कर निगम को भंग कर दिया जाए। आम आदमी पार्टी पहले से ही मेयर चुनाव को टाले जाने को लेकर बौखलाहट में दिखाई दे रही है । वहीं भाजपा भी चल रही भ्रम की स्थिति ही रास आ रही है। इससे भाजपा की रणनीति आम आदमी पार्टी के निगम पार्षदों में खौफ और डर पैदा करने की हो सकती है। यह किसी से छिपा नही कि निगम पार्षद बनने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं । कोई भी निगम पार्षद अपनीं सदस्यता यूं ही नही जाने देना चाहता। बस इसी का भाजपा फायदा उठाने की फिराक में है
गौरतलब है कि 250 सदंस्यों वाली दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी के 135 तो भाजपा के 105 तो कांग्रेस पार्टी के 10 निगम पार्षद हैं। मनोनीत निगम पार्षदों के मेयर चुनाव में मतदान के मुद्दे पर फिर तकरार संभव है। ऐसे में अगर आज चुनाव टला तो निगम भंग की संभावनाएं बनती दिखाई दे रही है।

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