राजेन्द्र सिंह के सेवानिवृत्ति समारोह में शामिल हुए लाइब्रेरी स्टाफ, अधिकारीगण और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के लोग
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी (ब्रेली सेक्शन) में वर्षों तक अपनी निःस्वार्थ सेवा देने वाले राजेन्द्र सिंह अब लाइब्रेरी क्लर्क के पद से सेवानिवृत्त हो गए हैं। उनके सम्मान में आयोजित विदाई समारोह*lkमें लाइब्रेरी स्टाफ, अधिकारीगण और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

राजेन्द्र सिंह: सेवा और समर्पण की मिसाल
राजेन्द्र सिंह भले ही अपनी आँखों से इस दुनिया को न देख सकते हों, लेकिन उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान शिक्षा और ज्ञान के माध्यम से अंधकार में जीवन बिता रहे लोगों के लिए रोशनी की नई किरणें बिखेरीं। उन्होंने लाइब्रेरी में आने वाले हर जरूरतमंद व्यक्ति की सहायता की और विशेष रूप से **दृष्टिबाधित पाठकों** के लिए अनेक सुविधाओं को सुलभ बनाया। उनकी लगन, कर्मठता और सहयोगी स्वभाव ने न केवल उनके सहकर्मियों बल्कि पाठकों के दिलों में भी एक विशेष स्थान बना लिया था।

विदाई समारोह: भावनाओं का संगम
समारोह के दौरान उनके सहकर्मियों ने उनके साथ बिताए वर्षों की यादें साझा कीं। किसी ने उनके अनुशासन की तारीफ की तो किसी ने उनके आत्मीय स्वभाव को याद किया। एक ओर उनकी सेवानिवृत्ति की खुशी में आयोजन किया गया, तो दूसरी ओर लाइब्रेरी से उनके जाने की उदासी भी सभी के चेहरे पर स्पष्ट झलक रही थी।

इस अवसर पर दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के कई अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे:
– **वीरपाल सिंह** (असिस्टेंट लाइब्रेरी इंफॉर्मेशन ऑफिसर)
– **रामेश्वर सिंह रावत** (लाइब्रेरी क्लर्क)
– **गंगा राम सागर** (एलडीसी)
– **श्वेता रानी** (एमटीएस)
इसके अलावा, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के चांदनी चौक मुख्यालय से भी कई वरिष्ठ अधिकारी इस समारोह में शामिल हुए और उन्होंने राजेन्द्र सिंह के योगदान की सराहना की।

मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मौजूदगी
कार्यक्रम में **वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी** और **समाजसेविका राखी अरोड़ा** भी विशेष रूप से उपस्थित रहीं। उन्होंने राजेन्द्र सिंह के योगदान को समाज के लिए प्रेरणादायक बताया और उन्हें उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।
राजेन्द्र सिंह की विदाई, लेकिन योगदान बेमिसाल
राजेन्द्र सिंह का सेवानिवृत्त होना केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि कई लोगो के लिए तो यह एक युग के समापन जैसा था। हालांकि वे अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त हो गए हैं, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान और उनकी दी हुई प्रेरणा बेमिसाल है। यही वजह है कि लाइब्रेरी से उनका जाने से बड़ी कमी महसूस होगी, लेकिन उनका कार्यकाल हमेशा यादगार रहेगा