राम जी का पर्यटन और दल बदलुओं का मेला”-वीरेन्द्र सचदेवा के साथ राम जी ने कर दिया खेला

संदीप शर्मा

दिल्ली की राजनीति में इन दिनों ‘राम जी’ का बड़ा दबदबा है। नहीं, यह रामायण वाले राम नहीं, बल्कि हमारे नगर निगम वार्ड 28 के पार्षद राम चंद्र जी हैं, जो पिछले कुछ दिनों से ‘पर्यटन’ की खास सुविधा का आनंद ले रहे हैं। उनकी ये यात्रा किसी धार्मिक स्थल या पर्यटक स्थल की नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच की थी। रविवार को वह बीजेपी में दाखिल हुए और चार दिन बाद ही यू-टर्न मारकर फिर से अपनी पुरानी पार्टी, आम आदमी पार्टी (AAP), के साथ हो लिए।

राम चंद्र जी ने बीजेपी में शामिल होते वक्त शायद सोचा होगा कि यह उनके राजनीतिक जीवन का ‘श्रीरामचरितमानस’ है, लेकिन जल्दी ही उन्होंने महसूस किया कि यह ‘रामायण’ नहीं बल्कि एक ‘दूरदर्शन की कॉमेडी सीरियल’ बन गई है। उनके इस यू-टर्न पर सबका ध्यान खींचते हुए आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने ट्विटर पर लिखा, “रामचंद्र जी, वापस घर आए हैं।” शायद सिसोदिया जी को भी लग रहा था कि राम जी के बिना AAP का वनवास पूरा नहीं हो पाएगा। केजरीवाल जब जेल यात्रा से वापिस आएंगे राम जी के दर्शन नहीं पाएंगे तो उन्हें कैसा लगेगा । जैसे सिसोदिया जी जेल यात्रा के बाद हनुमानजी के दर्शन करने क्नॉट प्लेस गए थे।

दिल्ली की राजनीति में ‘राम-नाम’ का बड़ा महत्व है, खासकर जब बात हो ‘राम-नाम सत्य’ की। चुनाव आते ही पार्षदों का ‘आया राम गया राम’ चालू हो जाता है। राजनीति के इस नए टूरिज्म ट्रेंड में एक और दिलचस्प नाम है—पवन सहरावत। इन्हें बीजेपी का ‘फ्रीलांस’ पार्षद कहना गलत नहीं होगा। पिछले साल उन्होंने भी ऐसा ही एक ‘पर्यटन’ किया था, जहां तीन हफ्ते में ही बीजेपी छोड़कर वापस AAP में लौट आए थे। अबकी बार फिर से इन्होने बीजेपी का दामन थाम लिया है, देखना यह है कि इस बार कितने दिन टिकते हैं ।

दिल्ली नगर निगम के चुनावों में दल बदल कानून का कोई प्रभाव नहीं होता। इसलिए पार्षदों का ‘पर्यटन’ बिना किसी वीज़ा या परमिट के जारी रहता है। चुनाव नज़दीक आते ही ‘कट्टर ईमानदार नेताओं’ का पर्यटन चरम पर पहुंच जाता है, जैसे राम चंद्र जी और पवन सहरावत का मामला दिखाता है।

मुझे कहने में कोई झिझक नहीं कि दिल्ली नगर निगम की राजनीति अब ‘आया राम गया राम’ के कॉमेडी सीरियल का नया एपिसोड बन गई है। पार्षदों का यह ‘राजनीतिक पर्यटन’ हमें बताता है कि इस खेल में न तो विचारधारा का कोई ठिकाना है और न ही वफादारी का। बस एक बात तय है— रामजी का पर्यटन तो जारी रहेगा, और इस बार ‘रामायण’ से ज्यादा ‘कॉमेडी’ देखने को मिलती रहेगी । साधारण सभा की बैठक में भी सिर्फ कमेडी ही तो होती है और ये कपिल शर्मा के शो को भी मात देती हैं

वीरेन्द्र सचदेवा के साथ राम जी ने कर दिया खेला

अब बात करें दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की, तो उन्हें शायद यह आभास भी नहीं था कि वह ‘कट्टर ईमानदार’ नेता के चेले के साथ डील कर रहे थे। सचदेवा जी सोच रहे होंगे कि वह तो पार्टी में नए चेहरों का स्वागत कर रहे हैं, लेकिन उन्हें क्या पता था कि ये पार्षद ‘पर्यटक’ हैं, जो वीज़ा-फ्री और बिना बंधन के आते-जाते रहते हैं। शायद उन्हें यह मालूम नहीं था कि ये ‘ईमानदार’ पार्षद कुछ ज्यादा ही ‘ईमानदार’ हैं, जो बिना किसी पूर्व सूचना के यू-टर्न ले लेते हैं।

मुझे यह कहने में झिझक नहीं  कि दिल्ली की नगर निगम राजनीति अब ‘आया राम गया राम’ की कॉमेडी सीरियल का नया एपिसोड बन गई है। पार्षदों का यह ‘राजनीतिक पर्यटन’ हमें बताता है कि इस खेल में न तो विचारधारा का कोई ठिकाना है और न ही वफादारी का। बस एक बात तय है—चुनाव तक रामजी का पर्यटन जारी रहेगा, और इस बार ‘रामायण’ से ज्यादा ‘कॉमेडी’ देखने को मिलेगी। वीरेंद्र सचदेवा भी शायद अब यह जान गए होंगे कि ‘कट्टर ईमानदारी’ और ‘राजनीतिक पर्यटन’ का क्या मेल है ! बहरहाल वार्ड कमेटियों के चुनाव की तारीख सितंबर 4 है और चार तक आप को कई चमत्कार देखने को मिल सकते हैं  
जय राम जी की
संदीप शर्मा

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