दिल्ली भाजपा के नए कार्यकारी अध्यक्ष बने वीरेंद्र सचदेवा के व्यक्तित्व व कार्यशैली के बारे में कुछ खास बातें जो पार्टी में फूंक सकती हैं नई जान !

संदीप शर्मा

न्यूज़ नॉलेज मास्टर, NKM NEWS,दिल्ली प्रदेश भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर वीरेंद्र सचदेवा की नियुक्ति से रविवार को पार्टी में सरगर्मियां तेज़ हो गई। नियुक्ति की घोषणा के तुरंत बाद14 पंत मार्ग स्थित दिल्ली प्रदेश पार्टी कार्यलय में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों का जमावड़ा लगने लगा । दिल्ली नगर निगम के नतीजों के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद से आदेश गुप्ता का इस्तीफा तय माना जा रहा था। यह कयास लगाए जा रहे थे कि  बहुत जल्द दिल्ली प्रदेश भाजपा का नेतृत्व बदलने जा रहा है लेकिन आदेश गुप्त की विदाई कुछ इस तरह से होगी यह उम्मीद शायद किसी को न थी।

दिल्ली नगर निगम में हार के बाद इस्तीफा

आदेश गुप्ता ने दिल्ली नगर निगम में भाजपा की हुई हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया । रविवार को ही वीरेंद्र सचदेवा ने पार्टी में बतौर कार्यकारी अध्यक्ष कार्यभार संभाल लिया। पार्टी में दिल्ली प्रदेश के महामंत्री, उपाध्यक्ष,जिला व मंडल व मोर्चे के पदाधिकारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी लेकिन आदेश गुप्ता नही आये। शाम को उनका एक ट्वीट ज़रूर आया।

दिल्ली नगर निगम की सत्ता पर भाजपा 15 साल तक काबिज रही लेकिन भाजपा को निगम में चौका लगाने का मौका नही मिला ।  दिल्ली नगर निगम में भाजपा को 104 सिटी मिली जबकि  134 सीट लेकर आम आदमी पार्टी भाजपा के किले को ध्वस्त करने में कामयाब हो गई। हालांकि भाजपा ने इन चुनावों में आम आदमी पार्टी को कड़ी टक्कर दी लेकिन टिकट बंटवारे, अंदरूनी गुटबाजी, कार्यकर्ताओं में असंतोष सरीखी एक के बाद एक रणनीतिक चूक पार्टी को निगम चुनाव में ले डूबी । दिल्ली विधानसभा के साथ-साथ अब भाजपा दिल्ली नगर निगम से भी बाहर हो चुकी है। जाहिर है इसके लिए जिम्मेदार कप्तान को ही ठहराया जाएगा। आखिर अगर पार्टी जीत जाती तो जीत का सेहरा भी मुखिया के सर पर ही सजता है। निगम में हार की जिम्मेदारी लेते हुए आदेश को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया ।

कौन हैं दिल्ली भाजपा के नए कार्यकारी मुखिया वीरेन्द्र सचदेवा ?

वीरेंद्र सचदेवा इससे पहले आदेश गुप्ता की टीम में दिल्ली प्रदेश के उपाध्यक्ष पद पर तैनात थे । पार्टी के एक सामान्य कार्यकर्ता से प्रदेश के मुखिया पद तक पहुंचने का उनका सफर 1988 में शुरू हुआ ।   वीरेंद्र सचदेवा चांदनी चौक जिले में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष व  महामंत्री रहे । वीरेंद्र सचदेवा 2007 में चांदनी चौक के जिलाध्यक्ष बने इसके बाद 2014 में मयूर विहार के जिलाध्यक्ष भी चुने गए ।  साल 2009 में वह प्रदेश मंत्री रहे और फिर 2020 में उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली ।

केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें समय समय पर कई जिम्मेदारियां सौंपी हैं। जिन्हें वीरेंद्र सचदेवा ने बखूबी पूरा किया और शीर्ष नेतृत्व की अपेक्षाओं पर खरे भी उतरे हैं। भाजपा की चुनावी रणनीति में बूथ को मजबूत करना सर्वोपरि है। यही वजह है कि हर चुनाव में भाजपा मेरा बूथ सबसे मजबूत के करने की रणनीति पर बड़ी गंभीरता से काम करती है। केंद्रीय नेतृत्व ने ऐसी अहम जिम्मेदारी वीरेंद्र सचदेवा को सौंपी जिसके तहत देशभर के विभिन्न राज्यों के कमज़ोर बूथों की पहचान करने व उन्हें मजबूत करने की अहम जिम्मेदारी पूरी करने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है। शायद यह भी एक वजह रही है कि यह व्यक्ति दिल्ली प्रदेश के संगठन को मजबूत करने में कारगर साबित हो सकता है।।

कैसी है वीरेंद्र सचदेवा की कार्यशैली व उनका व्यक्तित्व ?

वीरेंद्र सचदेवा एक साफ छवि के निर्विवादित नेता है । सामान्यतः उन्हें मृदुभाषी,सहज,सरल व ज़मीन से जुड़े से व्यक्ति के रूप में जाना जाता है । उनकी दूसरी बड़ी खासियत उनका सरल स्वभाव व समान्य कार्यकर्ताओं से मिलनसार व्यवहार है। वहीं वीरेंद्र सचदेवा कई दिग्गजों के नज़दीक रह कर काम कर चुके हैं लिहाजा उनका राजनीतिक अनुभव भी काफी मायने रखता है। भाजपा के वयोवृद्ध नेता वी.के मल्होत्रा व वरिष्ठ भाजपा नेता विनय सहस्त्रबुद्धे सरीखे व्यक्तियों के वह विश्वासपात्र रहे।
वह कम और नपा तुला बोलने वाले व्यक्ति हैं। अक्सर नेताओं का बड़बोला पर उन्हें भारी पड़ जाता है। कल कार्यभार संभालते समय भी  उन्होंने बड़े नपे तुले शब्दों में शीर्ष पद का आभार प्रकट किया और कहा कि

सामूहिक नेतृत्व प्रणाली से काम करके संगठन को आगे बढ़ाना है…बड़े ही कम शब्दों में सचदेवा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि अब पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाना है ।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ सबका विकास के संदेश को जन-जन तक पहुंचा कर 2024 को दिल्ली में भाजपा के सभी सांसद प्रत्याशियों को फिर से सफल बनाने का उनका उद्देश्य है।

वहीं वीरेंद्र सचदेवा हर व्यकित की बात को सुनने व समझने वाले शख्स हैं लिहाज़ा वह कान के कच्चे नही हैं। जैसा कि अक्सर नेता इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं। वे चापलूसों से घिरे रहते हैं जो उन्हें कहीं का नही छोड़ते। ऐसे में बड़े नेताओं के साथ काम करने का अनुभव उन्हें अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने में काम आएगा। यही नही सचदेवा हर छोटे से छोटे कार्यकर्ता को उनके नाम से जानते हैं । इससे पार्टी के समान्य कार्यकर्ता का मनोबल ऊंचा रहता है और कार्यकर्ताओं का मनोबल किसी भी पार्टी की सफलता का आधार स्तंभ होता है। यह बात सचदेवा बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। दरअसल जिस पीढ़ी के नेताओं से उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा उनकी सफलता की सबसे बड़ी यूएसपी ही यही थी।

वीरेंद्र सचदेवा के मीडिया से संबंध

वीरेंद्र सचदेवा के मीडिया कर्मियों से भी अच्छे संबंध हैं हालांकि उन्हें  छपास रोग नही है । अक्सर नेताओं को मीडिया मैं सुर्खियां बटोरने का शौक होता है। इसके इतर सचदेवा के मीडिया कर्मियों से बहुत अच्छे संबंध हैं लेकिन मीडिया में बहुत चमकने का शौक नही रहा। हालांकि संगठन की बात जनता तक पहुंचाने के लिए उन्होंने पार्टी के कई नेताओं की मीडिया कवरेज़ में अहम भूमिका निभाई है। वहीं अब प्रदेश के अध्यक्ष पद के चलते उन्हें अपनी आदत  बदलनी पड़ेगी। यही नही कम ही लोग जानते हैं कि वीरेंद्र सचदेवा राजनीति में आने से पहले पत्रकार भी रह चुके हैं। पत्रकारिता में उनका अनुभव भी उनको लाभ देगा। किसी भी व्यक्ति व संगठन की छवि को गढ़ने में मीडिया की अहम भूमिका होती है। ऐसे में दिल्ली भाजपा को विधानसभा व निगम में सशक्त विपक्ष के रूप में पार्टी को खड़ा करने में यह अनुभव उनके काम आएगा।

वीरेंद्र सचदेवा के सामने क्या है चुनौतियां ?


दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहते हुए वीरेंद्र सचदेवा की राह बहुत आसान नहीं है । उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं.. दिल्ली नगर निगम की सत्ता से भाजपा बाहर हो चुकी है । वहीं विधानसभा में उसका वनवास लगभग ढाई दशक लंबा हो चुका है । वहीं 2024 में लोकसभा चुनाव है,फिर 2025 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव हैं लिहाजा पार्टी को एकजुट करके शीर्ष नेतृत्व की अपेक्षाओं पर खरे उतरने की बड़ी चुनौती वीरेंद्र सचदेवा के सामने है । वही वीरेंद्र सचदेवा दिल्ली भाजपा के कई दिग्गज नेताओं को इस दौड़ में पछाड़ते हुए इस पद पर पहुंचे हैं। इन दिग्गजों को एक साथ लेकर चलना, नेतृत्व करना भी बड़ी चुनौती के रूप में सामने है।  हालांकि पार्टी ने उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी दी है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी अमित शाह के बाद कार्यकारी अध्यक्ष ही बनाया गया था बाद में संगठन ने उनके नेतृत्व पर विश्वास व्यक्त किया। जेपी नड्डा की भांति वीरेंद्र सचदेवा को भी बहुत जल्द दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी दिए जाने की पूर्ण संभावनाएं हैं । पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर संगठन के भीतर की हर हलचल को नापना चाहता है वहीं आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव के मध्यनजर संगठन के स्वरुप व रणनीति पर गहराई से मंथन कर रहा है। 

एक दशक बाद पंजाबी समुदाय के व्यक्ति को दिल्ली प्रदेश की मिली कमान

दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष का पद संभालने वाले वीरेंद्र सचदेवा पंजाबी समुदाय से आते हैं। ओ.पी कोहली के बाद इस पद पर कोई व्यक्ति
पंजाबी समुदाय से बैठा है। कोहली 2009 में दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष में पंजाबी समुदाय से आने वाले व्यक्ति थे। दिल्ली में पंजाबी समुदाय का भाजपा को बड़ा समर्थन रहा लेकिन पिछले 11 वर्षों से दिल्ली भाजपा पर वैश्य और पूर्वांचल समाज का ही दिल्ली अध्यक्ष पद पर कब्जा रहा। कुछ जानकारों कि माने तो यही वजह है कि पंजाबी बहुल सीटों पर भाजपा की पकड़ ढीली होने के चलते आम आदमी पार्टी काबिज़ हो गई । एक वक्त था जब दिल्ली की सियासत पर पंजाबी समुदाय की तूती बोलती थी। ऐसे में पंजाबी समुदाय भाजपा से कटा हुआ महसूस कर रहा था। यही वजह है कि शीर्ष केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली भाजपा को एक पंजाबी चेहरा दिया है।

क्या फूंक पाएंगे सचदेवा दिल्ली भाजपा में नई जान

लाख टके के सवाल यह है कि क्या वीरेंद्र सचदेवा दिल्ली भाजपा में क्या नई जान फूंक पाएंगे। लोकसभा व दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की नैया पार लगा पाएंगे। दिल्ली विधानसभा में भाजपा का सन्यास समाप्त कर पाएंगे। दिल्ली सरकार की नाकामियों को क्या दिल्ली की जनता तक पहुंचा पाएंगे। दिल्ली भाजपा के बड़े दिग्गजों को साथ लेकर चल पाएंगे । यह वे सवाल है जिसके जवाब भविष्य के गर्भ में छिपे हैं लेकिन एक बात साफ है कि शीर्ष नेतृत्व ने वीरेंद्र सचदेवा को कमान सौंपने का फैसला किसी ठोस आधार पर मौजूदा वक्त की कसौटी पर कसकर ही लिया है तांकि दिल्ली भाजपा के भविष्य की रणनीति की धार को इतना तेज किया जा सके कि केजरीवाल की काट की जा सके

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