जय भीम योजना’ से वंचित हो रहे है प्रतियोगी परीक्षा के छात्रों व छात्र परीक्षा की तैयारी कराने वाली निजी संस्थानों ने खोला मोर्चा, देंगे धरना

दिल्ली सरकार की जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना (जेबीएमपीवीवाई) से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र वंचित हो रहे है। निजी प्रतियोगी संस्थानों में उनकी कक्षाएं ठीक से नहीं लग पा रही है। योजना का लाभ लेने वाले छात्र राजा सिंह का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने वाली कुछ संस्थान उन्हें अन्य भुगतान वाले बैच के साथ परीक्षा की तैयारी में तो शामिल कर लेती है। लेकिन नियमित लाभ नहीं मिल रहा। भुगतान नहीं होने की स्थिति में कोचिंग संस्थान नया बैच नहीं शुरू कर रहे और तैयारी में असुविधा हो रही है। सितंबर 2021 से कोचिंग संस्थानों का फंड सरकार की तरफ से रोका गया है। परीक्षा की तैयारी ही नहीं भविष्य भी अधर में पड़ गया है।
उधर, मुखर्जी नगर, करोल बाग समेत अन्य कोचिंग संस्थानों ने भी सरकार से योजना के तहत भुगतान नहीं मिलने की स्थिति में मोर्चा खोला है। ग्रुप ऑफ इम्पैनल इंस्टीट्यूट ऑफ जयभीम योजना एसोसिएशन ने धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। फुटांस आईएएस एकेडमी के डायरेक्टर विमल सिंह का कहना है कि कोविड की वजह से सबसे अधिक प्रभावित शिक्षण संस्थान हुए। लॉकडाउन में कई शिक्षण संस्थान बंद भी हो गए। दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग की लापरवाही की वजह से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों की तैयारी अधूरी रह गई है। कोर्स पूरा कराने के बावजूद फंड नहीं मिला। परिणाम आईएएस के डायरेक्टर दिग्विजय सिंह, कैरियर प्लस के डायरेक्टर अनुज अग्रवाल व निरज कुशवाहा, तक्षशीला एकेडमी के एनके गुप्ता, केडी कैंपस की डायरेक्टर नीतू सिंह, निर्माण आईएएस के अभिषेक सिंह, रविंद्रा आईएएस के डायरेक्टर रविंद्र सिंह का कहना है कि दिल्ली सरकार के सभी विभाग का दरवाजा खटखटाया लेकिन निराशा ही हाथ लगी। अजब एकेडमी प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अजब लीलहारे ने बताया कि परीक्षा की तैयारी कराने वाले संस्थानों के पास अब सड़क पर उतरने के अलावा कोई चारा नहीं है।

जयभीम योजना 2018 में शुरू हुई थी

दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग ने 2018 में जयभीम योजना की शुरुआत की थी। एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस श्रेणियों के दिल्ली स्थित छात्रों को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों (इंजीनियरिंग, मेडिकल और सीएलएटी) के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए मुफ्त कोचिंग दी जा रही थी। सिविल सेवा, बैंकिंग, रेलवे परीक्षा की तैयारी कराई जा रही थी। इसके लिए दिल्ली सरकार ने विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले करीब 46 कोचिंग संस्थानों के साथ करार किया था। दिल्ली सरकार के बजट में भी इस योजना के मद में 150 करोड़ रुपये की राशि रखी गई है।

इस योजना का मिला फायदा
इस योजना से कई छात्र सफलता की सीढ़ी पर भी चढ़े। पूर्व समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने योजना की “सफलता” के बारे में बताया था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दृष्टि है कि किसी की वित्तीय स्थिति छात्रों की सफलता में बाधा नहीं होनी चाहिए। 15,000 छात्रों में से लगभग 13,000 छात्रों ने सिविल सेवा, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, पुलिस, बैंकिंग, रेलवे और कई प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग ली। 3,000 छात्रों में से 4,000 ने मेडिकल व इंजीनियरिंग में प्रवेश भी लिया। चयन दर 25 प्रतिशत से अधिक है।

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