दिल्ली में चल रहे है हजारों अवैध कारखाने कर रहे अधिनियम 1948 का खुलेआम उल्लंघन-दीपेंद्र चाहर
भारतीय मजदूर संघ, दिल्ली प्रदेश महामंत्री डॉ दीपेंद्र चाहर ने दिल्ली में चल रहे है हजारों अवैध कारखाने में अधिनियम 1948 का खुलेआम उल्लंघन किये जाने का मुद्दा उठाया है ।
कारखाना अधिनियम 1948 के प्रावधानों के अनुसार एक “बिजली से चलने वाली मेन्यूफेक्चरिंग इकाईया” जिसमें 10 या 10 से अधिक श्रमिक या बिजली के बिना चलने वाली ऐसी इकाईया जिनमें 20 या 20 से अधिक कर्मचारी है एक कारखाने की श्रेणी में गिना जाता है और ऐसी सभी कारखाना ईकाईयों को कारखाना अधिनियम 1948 के तहत राज्य सरकार से लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है , यदि कोई फैक्ट्री किसी प्रकार का खतरनाक अथवा जोखिम भरा कार्य करती है तो ऐसे सभी कारखानों को फैक्ट्री अधिनियम 1948 के अन्तर्गत कवर किया जाता है भले ही उसमें 10 से कम श्रमिक हो कारखाना बिजली से चलता हो या नहीं चलता हो,यदि इस प्रकार का कोई कारखाना बगैर लाइसेंस के चलता पाया जाय तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
कारखाना अधिनियम के प्रावधानों में काम के घंटों, कल्याण, सुरक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित सभी आवश्यक बिंदु शामिल हैं।
एक श्रमिक को कारखाने में प्रति सप्ताह 48 घंटे से अधिक काम नहीं करना चाहिए, और एक साप्ताहिक अवकाश दिया जाना चाहिए।
अधिनियम में यह अनिवार्य है कि प्रत्येक कारखाना साफ-सुथरा होना चाहिए और श्रमिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सभी आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए।
अन्य बातों के अलावा, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, जल निकासी, तापमान और हवादार,पीने के पानी के प्रावधान हैं।
मूत्रालय और पर्याप्त शौचालय स्थान सुविधाजनक स्थानों पर होना चाहिए। इन क्षेत्रों को साफ रखा जाना चाहिए और श्रमिकों के लिए आसानी से सुलभ होना चाहिए।
अधिनियम के अनुसार, प्रत्येक कारखाने को पर्याप्त धुलाई की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। इसके अलावा, कारखाने में कपड़ों के भंडारण और सुखाने के लिए उचित सुविधाएं होनी चाहिए। प्राथमिक चिकित्सा उपकरण, शौचालय, आश्रय, शिशु गृह और भोजन कक्ष होने चाहिए।
कारखाना अधिनियम, 1948 का अध्याय IV, उद्योगों में श्रमिकों की सुरक्षा के लिए एक प्रावधान निर्धारित करता है।
जिसके अन्तर्गत चोट या क्षति को रोकने के लिए श्रमिकों के संपर्क से बचने के लिए मशीनरी के खुले या काम करने वाले हिस्से की घेराबंदी करना है
मशीनरी द्वारा काटने के लिए उपयुक्त गियर उपलब्ध कराना
उचित प्रशिक्षण और सावधानियों के बाद खतरनाक मशीनों का युवाओं को रोजगार दिया जाये
आपात स्थिति के मामले में बचने के मार्ग के रूप में उपयुक्त मैनहोल कवर प्रदान करना है।
अधिनियम के तहत उल्लंघन करने वाली किसी भी फर्म के लिए कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 92 के तहत दंड निर्धारित है।
इसमें कहा गया है कि यदि इस अधिनियम के तहत कोई उल्लंघन किया जाता है, तो इसके लिए उत्तरदायी व्यक्ति को दो साल तक की कैद और दो लाख रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा और,
यदि उल्लंघन जारी रहता है, तो उल्लंघन जारी रहने तक व्यक्ति प्रतिदिन एक हजार रुपये के जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा।
यदि किसी व्यक्ति को पहले अधिनियम की धारा 92 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था और फिर से उसी प्रावधान के लिए दोषी पाया गया था, तो वह व्यक्ति अधिनियम की धारा 94 के तहत उत्तरदायी होगा। तो, उसे तीन साल तक की कैद या दस हजार रुपये से दो लाख रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
लेकिन दिल्ली में हजारों कारखाने भ्रष्ट अधिकारियों के चलते फैक्ट्री एक्ट 1948 से बाहर है जिसका खामियाजा दिल्ली के श्रमिकों को झेलना पड़ रहा है।