“शिव-भक्त” कांग्रेस को क्यों चुभने लगा है ‘हिंदुत्व’? : विहिप

न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM NEWS),VHP ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की शिव भक्ति पर सवाल खड़े किए है । VHP ने इस विज्ञप्ति में कहा कि ‘हिंदुत्व एक जीवन पद्धति है’, 1995 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए इस निर्णय के विरुद्ध पूर्व प्रधान मंत्री व कांग्रेस नेता डा मनमोहन सिंह के वक्तव्य की विश्व हिन्दू परिषद् ने कड़ी निंदा की है. अपनी चिंता व्यक्त करते हुए विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने पूछा कि जिस पार्टी के प्रमुख स्वयं को ‘शिवभक्त’ बताते हैं क्या उसी पार्टी को हिंदुत्व एक जीवन पद्धति मानना चुभ रहा है?

डा मनमोहन सिंह ने स्वर्गीय श्री एबी बर्द्धन मेमोरियल लेक्चर में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 1995 के निर्णय का उल्लेख किया है था, जिसमें न्यायालय ने हिंदुत्व को एक जीवनशैली या सामान्य जीवन यापन का तरीका बताया था। डा सिंह ने अपने वक्तव्य में जस्टिस वर्मा के इस निर्णय को ऐसा निर्णय बताया, जो संविधान को खतरे में डाल दे।

श्री अलोक कुमार ने कहा है कि निर्णय के प्रति डा सिंह के इस प्रकार के कठोर शब्दों का प्रयोग काँग्रेस पार्टी के निरंतर चुनावी हारों के कारण हुई उनकी हताशा को व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि यह बड़ा अश्चर्यजनक है कि जहाँ एक ओर पार्टी प्रमुख स्वयं को “शिवभक्त” बता रहे हैं, वहीं, दूसरी ओर उनके वरिष्ठ नेता हिंदुत्व सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णय पर प्रश्न खड़ा कर रहे हैं।

इस प्रकार के वक्तव्य डा एस राधाकृष्णन एवं योगी अरविंद जैसे महान दार्शनिक व आध्यात्मिक गुरुओं के विचारों से भी सामंजस्य नहीं रखते। उनके इस वक्तव्य ने यह भी प्रमाणित कर दिया है कि वे भारतीय जीवन मूल्यों एवं संस्कृति से कितने अनभिज्ञ हैं। विहिप यह मानती है कि उनका यह बयान निंदनीय है तथा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर किसी प्रकार के पुनर्विचार का भी कोई औचित्य नहीं है।

विहिप कार्याध्यक्ष ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा कि डा सिंह, जो अब विपक्ष में होकर इस विषय को उठा रहे हैं, अपने प्रधानमंत्रीत्व काल में उन्होंने कभी इस निर्णय की समीक्षा के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया?

ज्ञातव्य है कि 1966 में शास्त्री यज्ञषुरुष दास जी के केस में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था “जब हम हिंदू धर्म के बारे में सोचते हैं, तो हिंदू धर्म को ठीक से परिभाषित करना या उसकी व्याख्या करना, चाहे असंभव न हो किन्तु कठिन अवश्य है। हिंदू धर्म विश्व के दूसरे धर्मों की तरह किसी एक पैगंबर में विश्वास नहीं करता, किसी एक ईश्वर में विश्वास नहीं करता, किसी एक सूत्र में विश्वास नहीं करता, किसी एक दर्शन में विश्वास नहीं करता, किसी एक ही प्रकार के धार्मिक रीति-रिवाज़ या क्रिया कलापों में विश्वास नहीं करता। वास्तव में यह किसी एक संकीर्ण पारंपरिक धार्मिक विचारधारा का अनुसरण भी नहीं करता। मोटे तौर पर यह एक जीवनशैली है और इससे अधिक कुछ नहीं।“

2016 में मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता में सात जजों की खण्डपीठ ने भी 1995 के निर्णय की समीक्षा करने से इंकार कर दिया था।

जहां तक सेना के साम्प्रदायीकरण का प्रश्न है डा सिंह को याद होगा कि वे ही पहले व्यक्ति थे जिन्होंने प्रधान मंत्री रहते हुए ही, सेना में कितने मुसलमान है, यह जानने की इच्छा जताई थी।

विश्व हिंदू परिषद का यह स्पष्ट मत है कि 2019 के चुनाव के पहले इस प्रकार के विवाद खड़े करने से काँग्रेस पार्टी के डूबते जहाज को कोई लाभ होने के स्थान पर उसे भारतीय जनमानस का और विरोध झेलना पड़ेगा।

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