क्या हाउस मीटिंग में गूंजेगा,MCD स्कूलों के मर्जर का मुद्दा
संदीप शर्मा
दिल्ली नगर निगम ने हाल ही में कई स्कूलों का मर्जर किया है, जिससे राजधानी में शिक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। एक ओर जहां नए स्कूल खोल जाने की ज़रूरत महसूस की जा रही है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों का मर्जर करके शिक्षा व्यवस्था का AAP भट्टा बिठाती दिखाई दे रही है । दिल्ली में साफ सफाई से लेकर वाटर लॉगिंग की हालत ने दिल्ली वालों की ज़िंदगी नरक बना दी है । मेयर शैली ओबरॉय इन सबका ठीकरा कमिश्नर के सर पर फोड़ती दिखाई दे रही है । स्टेंडिंग कमेटी,वार्ड कमेटी, शिक्षा,वर्क्स कमेटी सरीखी कमेटियों के गठन की दूर दूर तक कोई संभावना नज़र नही आ रही ।
शिक्षकों की कमी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव:
मर्जर के बावजूद निगम स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, जिससे शिक्षा का स्तर प्रभावित हो रहा है। बच्चों के लिए बैठने के लिए पर्याप्त डेस्क भी उपलब्ध नहीं हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई में बाधा उत्पन्न हो रही है। स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव और शिक्षकों की कमी, दोनों ही छात्रों के भविष्य पर नकारात्मक असर डाल रहे हैं।
सवालों के घेरे में AAP सरकार
AAP सरकार के शासनकाल में निगम स्कूलों की स्थिति लगातार बद से बदतर होती जा रही है। अलग बात है कि आदतानुसार AAP प्रेस वार्ताओं में निगम स्कूलों को विश्व स्तरीय बनाने का ढिंढोरा पीटती दिखाई देती है । हालांकि AAP के दावे हकीकत से कोसो दूर हैं।
सरकार द्वारा उठाए गए गलत कदमों की हर तरफ आलोचना हो रही है, जिसमें स्कूलों का मर्जर भी शामिल है। सरकार की शिक्षा नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि नए स्कूल खोलने के बजाय स्कूलों का मर्जर क्यों किया जा रहा है?
शिक्षकों की सरकार के कदम से भारी नाराजगी
निगम स्कूलों के शिक्षक भी इस स्थिति से नाराज हैं। उनका कहना है कि उन्हें सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है, जिससे वे अपने कार्य को सुचारू रूप से नहीं कर पा रहे हैं। सरकार की गलत नीतियों का असर गरीब मां बाप के बच्चों के भविष्य पर पड़ रहा है,जो निजी स्कूलों की भारी भरकम फीस भरने लायक नहीं है । यह चिंता का विषय है है कि सरकार गरीबों के बच्चों के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रही है ।
अधर में लटका निगम स्कूलों का भविष्य:
अगर यही स्थिति बनी रहती है, तो निगम स्कूलों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। यह जरूरी है कि सरकार इन मुद्दों को गंभीरता से ले और स्कूलों की स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए। बच्चों के भविष्य के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है, और इसके लिए सरकार को शिक्षा प्रणाली में सुधार करना होगा।
सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करे और छात्रों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करे, ताकि दिल्ली के निगम स्कूल फिर से शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकें।
दिल्ली नगर निगम (MCD) ने हाल ही में 60 स्कूलों का मर्जर स्कूलों में कर दिया है । इस मर्जर का मुख्य कारण संसाधनों की कमी और घटती छात्र संख्या बताई जा रही है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि कई स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम हो गई थी, जिसके चलते अलग-अलग स्कूलों को संचालित करना मुश्किल हो रहा था।
इसके अलावा, शिक्षा के लिए उपलब्ध बुनियादी ढांचे, शिक्षकों और अन्य संसाधनों की कमी भी मर्जर का एक महत्वपूर्ण कारण है। इस मर्जर के जरिए प्रशासन का उद्देश्य यह है कि सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके और छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान की जा सके।
हालांकि, इस कदम की आलोचना भी हो रही है, क्योंकि इसके चलते छात्रों और शिक्षकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि कक्षाओं में छात्रों की भीड़, पर्याप्त डेस्क की कमी, और शिक्षकों की संख्या में कमी।