जानिए कैसे कर्नाटक में कांग्रेस का किला ढ़हने से राहुल का भविष्य लगा दांव पर
न्यू दिल्ली,न्यूज़ नॉलेज मास्टर(NKM),कर्नाटक विधानसभा चुनाव की मतगणना के रुझानों में अब तक के रुझानों में बीजेपी सरकार बनाने के जादुई आंकड़े को छूती दिखाई दे रही है । अब तक मिले रुझान अगर जीत में में परिवर्तित होते हैं तो कांग्रेस को करारी हार का मूंह देखना पड़ सकता है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी के राजनैतिक भविष्य के लिए एक बड़े झटके के रुप में देखा जा सकता है। ऐसे में सियासी पंडितो की माने तो कर्नाटक विजय बीजेपी के लिए 2019 में होने वाले आम चुनाव की राह आसान बनाने में काफी मददगार सिद्ध होगी।
कर्नाटक जीत 2019 का सेमिफाइनल
कर्नाटक की जीत बीजेपी के लिए 2019 से पहले किसी सेमीफाइनल से कम नहीं होगी. आने वाले समय में कर्नाटक के नतीजों का असर बोजेपी के मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों पर पडेगा..कर्नाटक चुनाव नतीजों से पहले ही बीजेपी ने मिशन 2019 की तैयारियां शुरू कर दी थी । बीजेपी ने कांग्रेस के 48 साल बनाम बीजेपी के 48 महीने का नारा दिया. पीएम मोदी ने कर्नाटक के कार्यकर्ताओं के लिए ‘पोलिंग बूथ जीतो और चुनावी जीत तय’ का मंत्र दिया था. इसके अलावा बूथ मैनेजमेंट के लिए यूपी की तरह अमित शाह ने कर्नाटक में भी पन्ना प्रमुखों का प्रयोग आजमाया.
कर्नाटक की जीत में चला मोदी मेजिक
2014 के लोकसभा चुनावों में बंपर जीत के बाद ब्रांड मोदी का सफल अभियान लगातार जारी है. 20 राज्यों में बीजेपी और सहयोगी दलों की सरकारें हैं. बीजेपी ने पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में वाम गढ़ पर कब्जा कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई..कर्नाटक में बीजेपी का दांव येदियुरप्पा से ज्यादा मोदी मैजिक पर था.. जबकि कांग्रेस केंद्रीय नेताओं की जगह सिद्धारमैया कार्ड पर ज्यादा निर्भर थी। कर्नाटक में कांग्रेस का सिद्दारमैया पर खेला दाव फेल होता नज़र आ रहा है। ऐसे में किसानों-दलितों के मुद्दों, रोजगार और विकास के गुजरात मॉडल को लेकर मोदी सरकार की नीतियों को कटघरे में खड़ा करने वाली कांग्रेस और समुचे विपक्ष को मूंह की खानी पडेगी।
कर्नाटक का किला ढहने से अलग थलग पड़ सकती हैं कांग्रेस
कर्नाटक में कांग्रेस और ज्यादा मुखर हुई क्योंकि इस बार वह अपने दुर्ग में लड़ाई लड़ रही थी. राहुल गांधी विपक्षी दलो को एकजुट कर मोदी सरकार को घेरने की तैयारियों में लगी हुई थी। वैसे भी राहुल गांधी के नेतृत्व मे क्षेत्रिय पार्टियां आने को तैयार दिखाई नहीं दे रही थी। ममता बेनर्जी ने तो राहुल गांधी को कभी भाव ही नहीं दिया..वहीं अखिलेश यादव ने भी राहुल के स्वयं पीएम बनने के दावे से असहमति जताई थी। ऐसे में मोदी सरकार की नीतियों को निशाना बना रहे राहुल बाबा को मोदी की कर्नाटक में पटखनी काफी महंगी पडेगी। इसकी वजह आने वाले दिनों में मोदी विरोधियों का राहुल के नतृत्व में आना काफी कठिन होगा।
बीजेपी कार्यकर्ताओं का बढ़ेगा मनोबल
कर्नाटक का चुनावी रण जीतने के बाद बीजेपी के कार्यकर्ताओं का उत्साह भी बढ़ेगा..कोई भी सियासी दल कार्यकर्ताओं के मनोबल से ही चुनावी मैदान में उतरता है। कर्नाटक में जीत 2019 के चुनावी रण से पहले बीजेपी के लिए संजीवनी साबित हो सकती है. पार्टी तब और मुखर तरीके से विपक्ष का सामना कर पाएगी. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल भी ऊंचा होगा.