जानिए दिल्ली के किस इलाके में लोगो के दांतो की हालत 19वीं सदी जैसी ! इडियन डेंटल ऐसोसियेश्न की रिपोर्ट में खुलासा
क्या दिल्ली में रहने वाले लोग दांतो के प्रति गंभीर नही हैं..यह सवाल तब पैदा हुआ जब देश की राजधानी दिल्ली के मंगोल पुरी में इंडियन डेंटल एसोसियेश्न (IDA) ने दांतो के एक नि:शुल्क जांच शिविर का आयोजन किया। तकरीबन डेढ़ से दो सौ लोगों के दांतों की जांच में यह बात सामने आई की की जांच किए जाने वाले अधिकांश लोगों के दांतो और मसूड़ों की हालत बद से बदतर हो चुकी है…इंडियन डेंटल एसोसियेश्न (IDA),उत्तरी दिल्ली की शाखा ने मंगोल पुरी एक्स. ब्लॉक में नव-युवक कल्याण सभा के साथ मिलकर एक कैंम्प का आयोजन किया जिसमें दांतो की समस्या से पीडित आने वाले मरीज़ो की दांतो की स्थिति बेहद खराब पाई गई। इसमें इंडियन डेंटल एसोसियेश्न IDA,उत्तरी दिल्ली के अध्यक्ष ड़ॉ विनय मेहता के नेत़ृत्व में सीनियर डॉ ज्योति,डॉ सीमा,डॉ ईशा कथूरिया और डॉ नवीन ने शिविर में आने वाले मरीज़ों के दांतो की जांच कर उन्हें इलाज कराने का उचित परामर्श दिया..इसके साथ ही दांतो की देखभाल किस तरीके से की जाये,दांत साफ करने की सही विधि से लोगो को अवगत करवाया। वहीं नवयुवक कल्याण सभा के अध्यक्ष राम अचल और सोशल एक्टिविस्ट राजेन्द्र कुमार ने IDA के सहयोग से कैंम्प लगाने और लोगों को शिविर तक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
19वीं सदी में रह रहे हैं लोग
इंडियन डेंटल एसोसियेश्न (IDA) उत्तरी दिल्ली शाखा के अध्यक्ष डॉक्टर डॉ विनय मेहता की माने तो बेशक आज दुनिया 21 सदी में है लेकिन आज भी दिल्ली के इस इलाके में लोगों के दांतो के निरीक्षण करने पर हम आचंभित है। यहां लोगों के दांतो और मसूड़ों की हालत इतनी नाज़ुक है कि ऐसा प्रतीत होता कि यहां के लोग आज भी 19वीं सदी में जी रहे हैं। दांतो के निरीक्षण में आने वाले अधिकांश लोग दांतो में कीड़ा लगने की समस्या से परेशान है..डॉ नवीन के मुताबिक लोग दांतो के प्रति जागरुक नहीं हैं…डॉ नवीन कहते हैं कि बच्चे तो बच्चे व्यसक भी ब्रश नहीं करते हैं।
गुटखा और तंबाकु से दांतों की गंभीर बिमारियों के शिकार लोग
डॉक्टरो की टीम ने दांतो की जांच में पाया कि आने वाले बड़ी संख्या मे मरीज़ गुटखा और तंबाकु की लत के चलते मसूडों की गंभीर समस्या से पीडित है…डॉ विनय मेहता की माने तो कई लोग गुटका चबाने की वजह से अपना मूंह भी पूरी तरह से खोल नही पाते है,जल्द ही इन मरीज़ों ने इसे गंभीरता से नही लिया तो आने वाले दिनों मे वे कैंसर का शिकार हो सकते हैं।