26 अप्रैल को मेयर चुनाव पर संवैधानिक संकट के बादल,टाला जा सकता है चुनाव !

संदीप शर्मा,

न्यूज़ नॉलेज मास्टर,( NKM) लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महापौर व उपमहापौर पद के चुनाव है । आम आदमी पार्टी व भाजपा ने अपने अपने प्रत्याशियों का नामांकन दाखिल कर दिया है । आम आदमी पार्टी के महेश खिंची ने मेयर तो रविन्द्र भारद्वाज ने उपमहापौर पद के लिए पर्चा भरा जबकि भाजपा की तरफ से महापौर के लिए कृष्ण लाल जबकि उपमहापौर के लिए नीता बिष्ट ने नामांकन दाखिल किया है । अब इस पूरे मामले में बड़ा संवैधानिक संकट खड़ा होने की संभावना दिखाई दे रही है

लोकसभा चुनाव के चलते देश मे लगी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन

देश मे आम चुनाव के चलते चुनाव आचार संहिता लगी हुई है । ऐसे में सवाल उठता है कि महापौर व उपमहापौर पद के चुनाव परिणाम क्या मतदाताओं को प्रभावित नही कर सकता है। जिस भी पार्टी का प्रत्याशी विजयी घोषित होगा क्या उस दल के पक्ष में यह संदेश नही जाएगा कि इस पार्टी के पक्ष में लहर है । ऐसा कोई भी सन्देश सीधा सीधा चुनाव आचार संहिता का उलंघन माना जायेगा

चुनाव आयोग से मांगी गई परमिशन अभी तक नही मिली

निगम अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली नगर निगम ने चुनाव आयोग से आम चुनावों के मद्देनजर दिल्ली के मुख्य चुनाव आयुक्त से मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव के लिए सहमति मांगी  है। अब इसमें बड़ा पेंच फंस सकता है । अभी तक दिल्ली नगर निगम को चुनाव आयोग की तरफ से मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव के लिए सहमति नही दी गई है । गौरतलब है की इस संबंध में दिल्ली नगर निगम में चुनाव आयोग से NOC मांगी थी । निगम से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 8 अप्रैल को दिल्ली के मुख्य चुनाव आयुक्त को NOC के लिए फाइल भेजी गई थी । अभी तक चुनाव आयोग की तरफ से इसका जवाब नहीं आया है ।

चुनाव आचार संहिता के चलते नहीं हुआ कमिश्नर का स्थानांतरण तो कैसे होगा मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव

चुनाव आचार संहिता में सरकार के सभी विभाग के कर्मचारी व अधिकारी  चुनाव आयोग के अधीन माने जाते हैं । उनकी ट्रांसफर व पोस्टिंग का अधिकार चुनाव आयोग के पास होता है । यही वजह है कि दिल्ली नगर निगम की आयुक्त ज्ञानेश भारती का स्थानांतरण केंद्र सरकार की महिला एवं बाल विकास विभाग में बतौर सचिव हो गया है। लेकिन चुनाव आचार संहिता के लगने के चलते उन्होंने अपनी नई जॉइनिंग नहीं की है और निगम में अपना उत्तरदायित्व निगम आयुक्त के रूप में बदस्तूर निभा रहे हैं । ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि यदि चुनाव आचार संहिता के लगने के चलते निगमायुक्त का स्थानांतरण होने के बावजूद  वह निगमायुक्त के पद पर जमे हुए हैं तो फिर महापौर का चुनाव आचार संहिता में होना कैसे संभव है ?

अप्रैल की पहली हाउस मीटिंग मेयर चुनाव के लिए नियत

बतादें कि मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव हर वर्ष होता है । दिल्ली नगर निगम अधिनियम के मुताबिक हर वर्ष अप्रैल माह में होने वाली पहली मीटिंग में मेयर व डिप्टी मेयर पद के चुनाव के लिए होता है ।

डीएमसी अधिनियम, 1957 (संशोधित 2022) में प्रावधान है कि निगम “प्रत्येक वर्ष अपनी पहली बैठक में अपने सदस्यों में से एक को अध्यक्ष के रूप में चुनेगा जिसे मेयर के रूप में जाना जाएगा और दूसरे सदस्य को डिप्टी मेयर के रूप में जाना जाएगा…  पहले वर्ष में मेयर पद महिला सदस्य के लिए आरक्षित और तीसरे वर्ष में अनुसूचित जाति के सदस्य के लिए आरक्षित होगा ।

दो बार मेयर रह चुकी शैली ओबरॉय को क्या नही जानकारी

दो बार मेयर रह चुकी शैली ओबेरॉय ने चुनाव आचार संहिता के लागू होने के बावजूद कैसे मेयर चुनाव के लिए कैसे हाउस मीटिंग रखी । मेयर साहिबा ने कैसे मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव के लिए सिफारिश की है । क्या उन्हें डीएमसी एक्ट महापौर के पद से जुड़ी प्रक्रियाओं की जानकारी नही है ? यदि वास्तव में ऐसा है तो समझा जा सकता हैं कि मेयर ने अपने दो कार्यकाल में किस प्रकार से अपनी भूमिका का निर्वहन किया होगा । वैसे शैली ओबरॉय का कार्यकाल 31 मार्च को खत्म हो गया है लेकिन अगले मेयर के चुनाव तक वह अपने पद पर बनी रहेंगी

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी फंसा पेच

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद जेल में बंद है । निगम चुनाव से जुड़ी फाइल को दिल्ली शहरी विकास मंत्रालय व मुख्यमंत्री कार्यलय के पास भेजा जाना होता है । मुख्यमंत्री कार्यलय से फाइल दिल्ली के उपराज्यपाल के पास जाती है । निगम के कानून के मुताबिक उपराज्यपाल ही निगम के मुख्य प्रशासक है । दिल्ली के मुख्यमंत्री जेल में बंद होने के चलते यहां भी पेंच फंस सकता है । क्या यह फ़ाइल उनके पास तिहाड में भेजी  जाएगी। 

लोकसभा चुनाव तक लटक सकता है मेयर चुनाव

26 अप्रैल को होने वाले महापौर व उप महापौर पद के लिए 18 तारीख को AAP व BJP के 6 लोगों ने नामांकन दाखिल किया है । वहीं अभी तक दिल्ली नगर निगम को चुनाव आयोग से NOC नहीं मिली है । यही नही अभी तक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति भी नही हुई है । पीठासीन अधिकारी की फ़ाइल मुख्य सचिव शहरी विकास मंत्रालय को भेजी जाती है और फिर मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इसे उपराज्यपाल को भेजा जाता है । मुख्यमंत्री केजरीवाल के जेल में होने के चलते इस बात की पूर्ण संभावनाएं हैं की मेयर चुनाव को लोकसभा चुनाव तक मुल्तवी किया जा सकता है । वैसे दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल कर दिए हैं । अब देखना होगा कि मेयर, डिप्टी मेयर चुनाव का क्या होता है ? क्या तय वक्त पर चुनाव करवाने की चुनाव आयोग इजाज़त देगा यां फिर इन चुनावों को टाला जाएगा ।

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